क्या डूब जाएगी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था? अमेरिका ने बंद की आर्थिक मदद
डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी आर्थिक मदद पर रोक लगाने का बड़ा फैसला किया है। इससे पाकिस्तान की ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास परियोजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। पहले से ही भारी कर्ज और महंगाई से जूझ रहा पाकिस्तान इस झटके से और गहरे संकट में फंस सकता है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाने के फैसले ने देश की अर्थव्यवस्था और विकास योजनाओं को बड़ा झटका दिया है। राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद जारी किए गए कार्यकारी आदेश के तहत यह कदम उठाया गया है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेशों को दी जाने वाली अमेरिकी आर्थिक मदद उनकी नीतियों के अनुरूप हो। अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) पाकिस्तान में कई बड़े प्रोजेक्ट्स की फंडिंग करता था, लेकिन ट्रंप के इस फैसले के बाद इन परियोजनाओं पर अचानक रोक लगा दी गई। पाकिस्तान पहले से ही भारी कर्ज और आर्थिक संकट से गुजर रहा है, ऐसे में यह प्रतिबंध उसकी स्थिति को और भी दयनीय बना सकता है। अब सवाल उठता है कि इस फैसले का पाकिस्तान पर क्या असर होगा? किन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा? और क्या पाकिस्तान इस झटके से उबर पाएगा?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर
पाकिस्तान पहले ही भारी विदेशी कर्ज और डूबती अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है। देश में महंगाई चरम पर है, विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है और विदेशी निवेशक पहले से ही पाकिस्तान में पैसा लगाने से कतराते हैं। अमेरिका की आर्थिक सहायता बंद होने के कारण पाकिस्तान की कई प्रमुख योजनाएं ठप पड़ सकती हैं।
अमेरिका पाकिस्तान को स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, कृषि, खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्थिक मदद देता था। अगर यह सहायता स्थायी रूप से बंद हो जाती है, तो पाकिस्तान को इन सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फंडिंग की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
ऊर्जा संकट होगा और गंभीर
पाकिस्तान की ऊर्जा व्यवस्था पहले ही खराब हालत में है। आए दिन बिजली कटौती, महंगी बिजली और ऊर्जा संकट से वहां की जनता परेशान रहती है। अमेरिका की मदद से पाकिस्तान में कई ऊर्जा परियोजनाएं चलाई जा रही थीं, जिनमें पावर सेक्टर इंप्रूवमेंट एक्टिविटी, पाकिस्तान प्राइवेट सेक्टर एनर्जी एक्टिविटी, एनर्जी सेक्टर एडवाइजरी सर्विसेज प्रोजेक्ट, क्लीन एनर्जी लोन पोर्टफोलियो गारंटी प्रोग्राम और पाकिस्तान क्लाइमेट फाइनेंसिंग एक्टिविटी शामिल हैं। इन सभी परियोजनाओं का मकसद पाकिस्तान की बिजली समस्या को दूर करना था, लेकिन ट्रंप के इस फैसले के बाद अब इन प्रोजेक्ट्स पर रोक लग गई है।
इसका सीधा असर यह होगा कि पाकिस्तान में बिजली संकट और बढ़ जाएगा। कारखानों और उद्योगों में उत्पादन प्रभावित होगा। बेरोजगारी और बढ़ सकती है। महंगाई और ज्यादा बढ़ने की आशंका है। स्वास्थ्य और शिक्षा सेक्टर को तगड़ा झटका पाकिस्तान के गरीब तबके को सबसे ज्यादा झटका स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में लगने वाला है। USAID के तहत अमेरिका पाकिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए हर साल करोड़ों डॉलर खर्च करता था। इससे अस्पतालों में नई तकनीक और दवाइयों की उपलब्धता बढ़ाई जाती थी।
अब इस मदद पर रोक लगने से पाकिस्तान में सरकारी अस्पतालों की हालत और खराब हो सकती है। गरीब लोगों के लिए मुफ्त इलाज मिलना मुश्किल होगा।
स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट आ सकती है, जिससे बीमारियों के मामले बढ़ सकते हैं। इसी तरह शिक्षा क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित होगा। अमेरिका पाकिस्तान में स्कूल और विश्वविद्यालयों के लिए भी फंडिंग करता था, जिससे गरीब छात्रों को बेहतर शिक्षा का मौका मिलता था। अब यह फंडिंग बंद होने से सरकारी स्कूलों की स्थिति और खराब हो सकती है। शिक्षा बजट में कटौती करनी पड़ सकती है। गरीब बच्चों की पढ़ाई छूट सकती है।
आर्थिक विकास योजनाओं पर संकट
पाकिस्तान को 2025 तक आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई आर्थिक विकास योजनाएं चलाई जा रही थीं, जिनमें से ज्यादातर की फंडिंग अमेरिका कर रहा था। इन योजनाओं के तहत नई इंडस्ट्री लगाने की योजना थी। रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा रहे थे।गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बनाई जा रही थीं।
लेकिन अब इन सभी योजनाओं पर संकट मंडराने लगा है। अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगने से नए उद्योग लगाने की योजना रुक सकती है। अमेरिका का यह फैसला पाकिस्तान में विदेशी निवेश (FDI) को भी प्रभावित कर सकता है। जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका किसी देश को आर्थिक मदद देना बंद कर देता है, तो अन्य देश और निवेशक भी उस पर संदेह करने लगते हैं। इस फैसले से पाकिस्तान में पहले से ही कम हो रहा विदेशी निवेश और घट सकता है, जिससे आर्थिक संकट और बढ़ सकता है।
क्या पाकिस्तान इस संकट से उबर पाएगा?
चीन से मदद मांगना: पाकिस्तान चीन से आर्थिक मदद लेने की कोशिश कर सकता है, लेकिन चीन हमेशा अपनी मदद के बदले कड़े शर्तें लगाता है, जिससे पाकिस्तान और ज्यादा कर्ज के जाल में फंस सकता है।
आईएमएफ से लोन लेना: पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से नया लोन लेने की कोशिश कर सकता है, लेकिन इससे देश पर कर्ज का बोझ और बढ़ जाएगा।
सऊदी अरब और खाड़ी देशों से आर्थिक सहायता: पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सऊदी अरब, UAE और कतर जैसे खाड़ी देशों से मदद मांग सकता है, लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है।
अगर पाकिस्तान जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाता है, तो आने वाले दिनों में उसे अधिक महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से पाकिस्तान गहरे संकट में जा सकता है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान इस स्थिति से कैसे निपटता है, या फिर वह और ज्यादा आर्थिक बदहाली की ओर बढ़ता है।
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