कनाडा के नए पीएम होंगे मार्क कार्नी, ट्रंप, भारत और विश्व राजनीति पर कैसा होगा असर
कनाडा में बड़ा राजनीतिक बदलाव हुआ है, जहां ‘बैंक ऑफ कनाडा’ के पूर्व प्रमुख मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री चुना गया है। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद यह फैसला लिया गया, जिससे भारत और कनाडा के रिश्तों में नए बदलाव की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

कनाडा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। ‘बैंक ऑफ कनाडा’ और ‘बैंक ऑफ इंग्लैंड’ के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी को सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने अपना नया नेता चुना है। इसके साथ ही, वह कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इस बदलाव का असर केवल कनाडा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक राजनीति और भारत-कनाडा संबंधों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
चुनौतियों से घिरा कनाडा
कनाडा इस समय कई गंभीर आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। खाद्य और आवास की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी, बेरोजगारी दर में वृद्धि और आव्रजन से जुड़ी समस्याएँ देश में चर्चा का मुख्य विषय बनी हुई हैं। इसके अलावा, अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में भी अस्थिरता बनी हुई है, खासकर डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के कारण। इन परिस्थितियों में मार्क कार्नी का नेतृत्व कनाडा को नई दिशा में ले जा सकता है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में नया मोड़?
भारत और कनाडा के रिश्ते हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं। खासतौर पर, जब पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के ‘संभावित’ हाथ होने का दावा किया था, तब दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी। हालांकि, मार्क कार्नी का रुख भारत के प्रति काफी सकारात्मक नजर आ रहा है। उन्होंने पीएम बनने से पहले ही कहा था कि अगर वह सत्ता में आते हैं, तो भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाएंगे। यह भारत के लिए एक शुभ संकेत हो सकता है। भारत, कनाडा का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार से व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं।
वैसे आपको बता दें कि मार्क कार्नी केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक अनुभवी अर्थशास्त्री भी हैं। वह ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं, जो भारत में रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में करीब 30 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है। इस पृष्ठभूमि के कारण, कार्नी भारत की आर्थिक प्रणाली और उसकी विकास दर से भली-भांति परिचित हैं। ऐसे में, उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ आर्थिक संबंध और मजबूत होने की संभावना है।
अमेरिका और ट्रंप के लिए सख्त रुख
मार्क कार्नी ने हाल ही में अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप को लेकर सख्त बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘‘अमेरिका हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप ने हमारे द्वारा बनाए गए उत्पादों और बेची जाने वाली वस्तुओं पर अनुचित शुल्क लगाए हैं। वह कनाडाई परिवारों, श्रमिकों और व्यवसायों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे।’’ कार्नी का यह बयान स्पष्ट करता है कि उनके कार्यकाल में कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध और अधिक गंभीर हो सकता है। इससे भारत पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि भारत कई मामलों में अमेरिका और कनाडा दोनों के साथ व्यापार करता है।
‘कनाडा कभी अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा’
कार्नी ने अपने एक और बयान में अमेरिका की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था, ‘‘अमेरिका हमारे संसाधन, पानी, जमीन और देश को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। लेकिन कनाडा कभी भी किसी भी तरह से, आकार या रूप में अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा।’’ इस बयान से साफ है कि वह कनाडा की संप्रभुता को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं हैं। इससे अमेरिका और कनाडा के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है, जिसका असर वैश्विक व्यापारिक समीकरणों पर पड़ सकता है।
चुनाव से पहले बड़ी परीक्षा
मार्क कार्नी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह अक्टूबर में होने वाले आम चुनावों में लिबरल पार्टी को जीत दिला सकें। अगर वह चुनाव जीतते हैं, तो यह तय है कि कनाडा की राजनीति में एक नया युग शुरू होगा। वैसेभारत के नजरिए से देखा जाए तो कार्नी के प्रधानमंत्री बनने से भारत और कनाडा के संबंधों में सुधार की उम्मीद बढ़ गई है। उनके आर्थिक दृष्टिकोण और भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मक रवैये के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कार्नी खालिस्तान मुद्दे पर भारत के पक्ष में सख्त कदम उठाते हैं या नहीं। अगर वह इस मामले में भारत के साथ सहयोग करते हैं, तो निश्चित रूप से दोनों देशों के संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं।
मार्क कार्नी का कनाडा का प्रधानमंत्री बनना सिर्फ कनाडा ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। भारत के लिए यह एक नए अवसर की तरह है, जहां दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से मजबूत किया जा सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगा कि कार्नी अपनी नीतियों को कैसे लागू करते हैं और भारत-कनाडा संबंधों को किस दिशा में ले जाते हैं।
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