SATURDAY 19 APRIL 2025
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अमेरिका के ट्रेजरी विभाग पर चीन का सायबर अटैक, जानें कैसे चीन, अमेरिका के बीच बढ़ा तनाव

चीन और अमेरिका के बीच सायबर सुरक्षा को लेकर विवाद और गहरा हो गया है। हाल ही में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग पर हुए सायबर हमले ने सभी को चौंका दिया। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, यह हमला चीन के हैकर्स द्वारा किया गया, जिन्होंने "बियॉन्डट्रस्ट" नामक थर्ड पार्टी सर्विस का इस्तेमाल कर ट्रेजरी के सिस्टम तक पहुंच बनाई।

अमेरिका के ट्रेजरी विभाग पर चीन का सायबर अटैक, जानें कैसे चीन, अमेरिका के बीच बढ़ा तनाव
बीजिंग और वाशिंगटन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसमें अमेरिका के ट्रेजरी विभाग पर साइबर हमला हुआ। यह हमला चीन स्थित हैकर्स द्वारा किया गया बताया जा रहा है। अमेरिकी अधिकारियों ने इसे "बड़ा साइबर हमला" करार दिया और दावा किया कि चीन ने इस बार सीधे उनके आर्थिक तंत्र को निशाना बनाया है।
कैसे हुआ यह हमला?
इस हमले के पीछे एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट (APT) नामक हैकर समूह का नाम लिया जा रहा है, जो चीन से संचालित होता है। इस बार हमला थर्ड-पार्टी सेवा प्रदाता 'बियॉन्डट्रस्ट' के जरिए हुआ, जो ट्रेजरी विभाग के कर्मचारियों को रिमोट तकनीकी सहायता प्रदान करता है। 2 दिसंबर को 'बियॉन्डट्रस्ट' ने संदिग्ध गतिविधि का पता लगाया। 5 दिसंबर को पुष्टि हुई कि यह साइबर हमला था। 8 दिसंबर को ट्रेजरी विभाग को घटना की सूचना दी गई। हैकर्स ने रिमोट एक्सेस का उपयोग करते हुए ट्रेजरी विभाग के कुछ वर्कस्टेशन और अनक्लासिफाइड दस्तावेजों तक पहुंच बनाई। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन दस्तावेजों में कितनी संवेदनशील जानकारी शामिल थी।
चीन ने आरोपों को खारिज किया
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन आरोपों को "बेबुनियाद" बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "चीन किसी भी प्रकार की हैकिंग का समर्थन नहीं करता और राजनीतिक लाभ के लिए फैलाए जा रहे झूठ को सिरे से नकारता है।" चीन और अमेरिका के बीच साइबर सुरक्षा को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी चीन पर वोल्ट टाइफून और सॉल्ट टाइफून जैसे हैकर ग्रुप्स के जरिए जासूसी और बुनियादी ढांचे को बाधित करने के आरोप लग चुके हैं।

यह घटना सिर्फ अमेरिका और चीन के बीच कूटनीतिक संघर्ष का संकेत नहीं देती, बल्कि यह एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। ट्रेजरी विभाग का निशाना बनना अमेरिकी आर्थिक तंत्र पर सीधा हमला है। अमेरिकी एजेंसियों का मानना है कि इस तरह के साइबर हमले भविष्य में और अधिक गंभीर हो सकते हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस हमले की जांच में एफबीआई और अन्य एजेंसियां शामिल हैं। इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट 30 दिनों में तैयार की जाएगी।
अमेरिकी-चीन संबंधों में बढ़ता तनाव
यह साइबर हमला दोनों देशों के बीच पहले से ही बिगड़ते संबंधों को और खराब कर सकता है। व्यापार युद्ध, तकनीकी प्रतिस्पर्धा और जासूसी के आरोपों के बीच यह नया हमला तनाव को और गहरा बना सकता है। इस घटना के पीछे छिपे इरादे केवल तकनीकी नहीं हैं। यह हमला इस बात की ओर इशारा करता है कि आज के युग में आर्थिक शक्ति को कमजोर करने के लिए तकनीक का किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि वैश्विक संबंधों में तकनीक का बढ़ता प्रभाव किस दिशा में जा रहा है।

शी जिनपिंग और चीन के साइबर हमलों के आरोप केवल राजनीतिक आरोप नहीं हैं; ये घटनाएं वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती हैं। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के इस नए अध्याय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका अपने आर्थिक तंत्र को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाता है और चीन इन आरोपों का सामना कैसे करता है।

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