SATURDAY 19 APRIL 2025
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यूक्रेन-रूस युद्ध में नया मोड़! फ्रांस देगा मदद, क्या बिगड़ेगा पुतिन का प्लान?

यूक्रेन-रूस युद्ध में बड़ा मोड़ आया जब अमेरिका ने यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया। इस फैसले से कीव को बड़ा झटका लग सकता था, लेकिन फ्रांस ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में यूक्रेन को सैन्य खुफिया और हथियार सहायता देने का ऐलान कर दिया। फ्रांस के इस कदम से न केवल यूक्रेन को राहत मिलेगी, बल्कि यूरोप में सुरक्षा संतुलन भी बदलेगा।

यूक्रेन-रूस युद्ध में नया मोड़! फ्रांस देगा मदद, क्या बिगड़ेगा पुतिन का प्लान?
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच एक नया मोड़ तब आया जब अमेरिका ने यूक्रेन को खुफिया जानकारी साझा करना बंद कर दिया। इस अप्रत्याशित कदम से कीव में चिंता की लहर दौड़ गई। लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस मौके पर एक साहसिक निर्णय लेते हुए यूक्रेन को सैन्य खुफिया जानकारी प्रदान करने का फैसला किया, जिससे युद्धग्रस्त देश को नई उम्मीद मिली है।

अमेरिका का यू-टर्न, यूक्रेन के लिए बड़ा झटका

पिछले बुधवार को अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि वह अब यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी साझा नहीं करेगा। यह निर्णय यूक्रेन के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि अमेरिकी खुफिया जानकारी रूस की सैन्य गतिविधियों को समझने और रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। इससे यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता था, और रूस के खिलाफ उसकी स्थिति कमजोर हो सकती थी।

फ्रांस बना यूक्रेन का नया सहयोगी

अमेरिका के इस कदम के बाद, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने तेजी से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को निर्देश दिया कि वे यूक्रेन को आवश्यक सैन्य खुफिया जानकारी प्रदान करें। फ्रांस इंटर रेडियो से बातचीत के दौरान लेकोर्नू ने पुष्टि की कि उनकी सरकार यूक्रेन को ऐसी खुफिया जानकारी उपलब्ध करा रही है, जिससे उसे रूसी सेनाओं की गतिविधियों पर नजर रखने और लक्ष्यों का सटीक चयन करने में मदद मिलेगी।

फ्रांस केवल खुफिया जानकारी तक सीमित नहीं रहा। राष्ट्रपति मैक्रों ने रक्षा मंत्री को निर्देश दिया कि वे अमेरिका की सहायता में आई कमी को पूरा करने के लिए फ्रांसीसी सैन्य सहायता पैकेजों को तेज करें। इसका मतलब यह है कि फ्रांस न केवल खुफिया जानकारी देगा, बल्कि संभवतः यूक्रेन को हथियारों और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति भी बढ़ा सकता है। यह कदम यूक्रेन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसे रूस के खिलाफ अपनी रक्षा को मजबूत करने के लिए इन संसाधनों की आवश्यकता है।

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने यूरोप की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि रूस से पूरे यूरोप को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है, और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। मैक्रों ने अपने यूरोपीय सहयोगियों को फ्रांस के परमाणु हथियारों से सुरक्षा प्रदान करने की बात भी कही। पेरिस में बुधवार को राष्ट्रपति मैक्रों ने अपने एक भाषण में कहा, "हमारा परमाणु शस्त्रागार हमारी सुरक्षा करता है और अब इसका इस्तेमाल पूरे यूरोप के लिए किया जाएगा।"

अमेरिका-यूरोप संबंधों में तनाव
अमेरिका के इस नए रुख ने यूरोप में चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध समेत कई अन्य मामलों पर यूरोप से नाराजगी जताई है और नाटो संगठन से बाहर होने के संकेत दिए हैं। इससे यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा और रक्षा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। फ्रांस के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि यूरोप अब अपनी सुरक्षा के लिए अधिक आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सोच रहा है।

इन घटनाओं के बीच, ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ का रक्षा शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी शामिल हुए। 27 यूरोपीय संघ के नेताओं की इस बैठक में यूक्रेन मुद्दे पर ट्रंप के बदले रुख और यूक्रेन संकट सबसे बड़ा मुद्दा रहा। यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन के प्रति अपने समर्थन की पुन: पुष्टि की और रूस के खिलाफ एकजुट रहने का संकल्प लिया।

हालांकि अब फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का यह कदम यूरोप में एक नए नेतृत्व की ओर संकेत करता है। अमेरिका के पीछे हटने के बाद, फ्रांस ने यूरोप की सुरक्षा और स्थिरता के लिए जिम्मेदारी उठाई है। यह निर्णय न केवल यूक्रेन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे यूरोप के लिए एक संदेश है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं सक्षम हैं और किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूरोप की सुरक्षा संरचना को हिला दिया है। अमेरिका के बदलते रुख ने यूरोपीय देशों को आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता का एहसास दिलाया है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का साहसिक कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अब समय आ गया है कि यूरोप एकजुट होकर अपनी सुरक्षा और स्थिरता के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना किया जा सके।

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