BJP शासित वो राज्य जिसने नौकरी के मामले में राष्ट्रीय आंकड़े को भी पछाड़ दिया
एक तरफ जहां मजार के नाम पर लैंड जिहाद करने वालों को तगड़ा सबक सिखा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ रोजगार के मामले में भी धामी सरकार लगातार इतिहास रच रही है जिसका सबसे बड़ा सबूत है रोजगार को लेकर केंद्र सरकार की ओर से जारी किया गया एक नया आंकड़ा।

धामी के राज में उत्तराखंड ने रच दिया इतिहास
ये आंकड़े बता रहे हैं कि धामी सरकार में युवाओं के लिए रोजगार के मौके बढ़े हैं। इसीलिए बेरोजगारी दर 14.2 से सीधे 4.4 फीसदी घटकर 9.8 फीसदी पर आ गई। इतना ही नहीं, श्रमिक जनसंख्या औसत में भी उत्तराखंड ने राष्ट्रीय औसत को पछाड़ दिया है...
उत्तराखंड में 15-29 के आयु वर्ग में यह औसत 49 प्रतिशत रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 46.5 प्रतिशत है। 15-59 के आयु वर्ग में उत्तराखंड का 64.4 तो राष्ट्रीय औसत 64.3 है। 15 वर्ष और उससे अधिक की श्रेणी में उत्तराखंड का 60.7 तो राष्ट्रीय औसत 60.1 रहा है।
बात चाहे युवाओं को रोजगार देने की हो या फिर श्रमिक जनसंख्या औसत की, देवभूमि उत्तराखंड हर मामले में आगे रहा। जिस पर सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा...
"प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों संग खड़ा करना हमारा संकल्प है। जनता के आशीर्वाद से हम इस संकल्प को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। हम रोजगार के अधिकाधिक अवसर सृजित कर रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में ही 16 हजार से अधिक युवाओं को हमने नियुक्ति दी है। निजी क्षेत्र में भी यह सिलसिला शुरू हो चुका है। आने वाले वर्षों में निवेश के ज्यादातर करारों के धरातल पर उतरने से लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। उत्तराखंड युवाओं को सिर्फ रोजगार ही नहीं देगा, बल्कि उन्हें दूसरों को भी रोजगार देने वाला बनाएगा।
ये आंकड़े बता रहे हैं कि दिल्ली के आलाकमान ने यूं ही पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया था। मोदी और शाह ये बात शायद अच्छी तरह से जानते थे कि वो पुष्कर सिंह धामी ही हैं जो जिहादियों का भी इलाज करना जानते हैं और देवभूमि को विकास के साथ ही रोजगार के मामले में भी तरक्की की राह पर दौड़ाना जानते हैं। इसी लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर देवभूमि उत्तराखंड की सत्ता सौंपी गई है।