दुनिया के टॉप एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम्स, भारत समेत 5 शक्तिशाली देशों का खास रक्षा कवच
आज हम जानेंगे उन पांच प्रमुख देशों के बारे में जिनके पास दुनिया के सबसे उन्नत और ताकतवर एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम हैं। यह डिफेंस सिस्टम दुश्मनों के हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करते हैं और हाल के युद्धों में इनकी उपयोगिता साफ तौर पर नजर आई है।

आज के दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम होना बेहद जरूरी हो गया है, विशेषकर जब बात हवाई खतरों की आती है। दुश्मनों के हवाई हमलों से बचने के लिए कई देशों ने शक्तिशाली एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम्स का विकास किया है। हाल ही में रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के युद्ध में इन मिसाइल सिस्टम्स का जमकर इस्तेमाल हुआ, जो युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे उन 5 देशों के बारे में, जिनके पास दुनिया के टॉप एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम्स हैं। साथ ही जानेंगे कि भारत के पास कितने ऐसे सिस्टम हैं जो उसे एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम क्या है?
एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल एक गाइडेड मिसाइल होती है, जिसका उद्देश्य दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, ड्रोन आदि को हवाई क्षेत्र में ही निष्क्रिय करना होता है। ये मिसाइलें दुश्मन के हवाई खतरों का पता लगाती हैं, उनका ट्रैक करती हैं और उन्हें समाप्त कर देती हैं। इस प्रकार ये सिस्टम्स एक प्रभावी सुरक्षा कवच की तरह काम करते हैं, जो सैन्य अड्डों, बुनियादी ढांचे और नागरिक क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। अब जानते हैं उन पांच देशों के बारे में जिनके पास यह उन्नत तकनीक है।
1. चीन - HQ-9 मिसाइल सिस्टम
चीन का HQ-9 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम है। इसे दुश्मन के विमानों, क्रूज मिसाइलों, सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों और हेलीकॉप्टरों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिसाइल दुश्मन के विमानों को ट्रैक करने की क्षमता रखता है। साथ ही सभी मौसमों में काम करता है। और सबसे अहम बात की यह दिन और रात दोनों ही समय एक समान प्रभावी है। इस सिस्टम का विकास 1980 के दशक में शुरू हुआ और इसे अमेरिकी पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम से प्रेरणा लेकर डिज़ाइन किया गया। यह चीन की सामरिक ताकत को दर्शाता है, जो उसे हवाई खतरों से बचाने में मददगार है।
2. अमेरिका - पैट्रियट (MIM-104) मिसाइल सिस्टम
अमेरिका का पैट्रियट (MIM-104) मिसाइल सिस्टम एंटी-एयरक्राफ्ट तकनीक का उन्नत उदाहरण है। यह प्रणाली सभी मौसमों में सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों से मुकाबला करने में सक्षम है। यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों का पता लगाने की क्षमता रखता है। अत्याधुनिक रडार तकनीक से लैस है, और दुनिया के कई देशों द्वारा अपनाया भी गया है। इसे 1974 में अमेरिकी सेना के शस्त्रागार में शामिल किया गया था। वर्तमान में यह अमेरिकी सेना के साथ-साथ कई सहयोगी देशों की रक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
3. फ्रांस और इटली - SAMP/T यूरोसैम सिस्टम
फ्रांस और इटली द्वारा संयुक्त रूप से विकसित SAMP/T यूरोसैम सिस्टम दुश्मन के हवाई खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली सभी मौसमों में कार्य करने में सक्षम है और इसे यूनिट्स तथा सैनिकों की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है। SAMP/T सिस्टम में उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा मौजूद है, जो दुश्मन के जामिंग के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है। इसके रडार और मिसाइल लांचर वाहन पर लगे होते हैं, जिससे इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। यह विशेषता इसे दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में भी प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम बनाती है। इस सिस्टम की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका समुद्र में उपयोग भी किया जा सकता है। इसे 1989 में यूरोपीय संघ की कंपनियों द्वारा विकसित किया गया था और वर्तमान में फ्रांस व इटली की नौसेना में तैनात किया गया है।
4. इजरायल - डेविड स्लिंग मिसाइल सिस्टम
डेविड स्लिंग इजरायल का एक उन्नत मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे अमेरिका और इजरायल की सहयोगी कंपनियों ने मिलकर विकसित किया है। यह प्रणाली लंबी दूरी के हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है। यह सिस्टम इजरायल के लिए एक बहुस्तरीय सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, जो हवाई और मिसाइल हमलों के कई स्तरों पर सुरक्षा प्रदान करता है। इसे इजरायल के पुराने MIM-23 हॉक और MIM-104 पैट्रियट सिस्टम्स को बदलने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि आधुनिक और उन्नत सुरक्षा मिल सके। यह प्रणाली दुश्मन के सामरिक हमलों को रोकने में सक्षम है, जिससे देश की महत्वपूर्ण संरचनाओं और जनसंख्या की रक्षा की जा सके। इसे इजरायल की आधुनिक सुरक्षा जरूरतों के लिए विकसित किया गया है और यह वहां के सुरक्षा कवच का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
5. रूस और भारत - S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम
S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम को रूस द्वारा विकसित किया गया और यह वर्तमान में विश्व के सर्वश्रेष्ठ एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम में से एक माना जाता है। भारत ने भी इसे अपने शस्त्रागार में शामिल किया है। यह प्रणाली 400 किलोमीटर तक की दूरी पर आने वाले हवाई खतरों को तुरंत पहचान सकती है और तेजी से कार्रवाई कर सकती है। यह सिस्टम कई तरह की मिसाइलों के साथ काम करता है, जिससे इसे विभिन्न प्रकार के हवाई हमलों को रोकने में लचीलापन मिलता है। इसकी उन्नत तकनीक इसे दूरस्थ लक्ष्यों को भी उच्चतम सटीकता के साथ निष्क्रिय करने की क्षमता प्रदान करती है, जो इसे एक शक्तिशाली सुरक्षा प्रणाली बनाती है। इसे 1990 के दशक में रूस के अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो द्वारा विकसित किया गया था। भारत ने इस प्रणाली को 2018 में खरीदा था और इसकी पाँच यूनिट्स वर्तमान में भारत की रक्षा में कार्यरत हैं।
भारत की रक्षा में S-400 की भूमिका
भारत के पास S-400 सिस्टम होने से उसकी हवाई सुरक्षा में बड़ी मजबूती आई है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से आए दिन खतरों के मद्देनजर, यह प्रणाली भारत की रक्षा को एक नई ऊँचाई पर ले जाती है। भारत की बढ़ती सामरिक शक्ति और पड़ोसी देशों से सुरक्षा के उद्देश्य से S-400 की खरीद एक महत्वपूर्ण कदम है।
एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम ने वैश्विक सुरक्षा में एक नया आयाम जोड़ा है। ये प्रणाली न केवल दुश्मनों से देश की सीमाओं को सुरक्षित रखती हैं, बल्कि एक रक्षा कवच की तरह काम करती हैं, जो हवाई खतरों को देश से दूर रखती हैं। विश्व के टॉप एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम्स वाले ये पांच देश अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को बरकरार रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा ले रहे हैं। भारत का S-400 सिस्टम इस दिशा में उसे न केवल मजबूती देता है, बल्कि देशवासियों में भी एक सुरक्षा का भरोसा जगाता है।
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