WEDNESDAY 30 APRIL 2025
Advertisement

Vinod Khanna Biography: जिंदगी में घटी ऐसी घटना कि अचानक सन्यास बन गए Vinod Khanna

6 फ़ीट लंबा गबरू जवान, बड़ी आँखें, लंबे बाल, चौड़ी छाती और बेमिसाल पर्सनालिटी वाले विनोद खन्ना की एंट्री जब भी बड़े पर्दे पर होती थी तो तालियाँ और सीटियों की आवाज़ से पूरा थियेटर गुंज जाया करता था । आज इस वीडियो में हम आपको इसी विनोद खन्ना के बारे में बताएँगे ।

Vinod Khanna Biography: जिंदगी में घटी ऐसी घटना कि अचानक सन्यास बन गए Vinod Khanna
एक ऐसा अभिनेता जिसकी एंट्री से गुंज उठता था थियेटर ।जिसने विलेन के किरदार में सबको डराया ।जब हीरो बना तो सबको हंसाया और रूलाया ।जो बड़े से बड़े खलनायकों का काम कर देता था तमाम । जिसे बालीवुड का कहा गया हैंडसम हंक हीरो । वो कोई और नहीं बल्कि ये थे बालीवुड के रियल मैचों मैन विनोद खन्ना।

6 फ़ीट लंबा गबरू जवान, बड़ी आँखें, लंबे बाल, चौड़ी छाती और बेमिसाल पर्सनालिटी वाले विनोद खन्ना की एंट्री जब भी बड़े पर्दे पर होती थी तो तालियाँ और सीटियों की आवाज़ से पूरा थियेटर गुंज जाया करता था । आज इस वीडियो में हम आपको इसी विनोद खन्ना के बारे में बताएँगे।

ये तमाम जानकारी और इसके अलावा भी कई दिलचस्प और अनकही क़िस्से विनोद खन्ना के बारे में आपको इस वीडियो में बताने वाले हैं। इसलिए इसे अंत तक ज़रूर देखिएगा । तो चलिए शुरू करते हैं ।


एक ज़माने में विनोद खन्ना ऐसे सुपर स्टार थे, कि इनकी चमक के आगे अमिताभ बच्चन भी फीके पड़ जाते थे ।लेकिन यहाँ तक पहुँचने के लिए विनोद खन्ना ने जीतोड़ मेहनत की थी तभी ये मुक़ाम हासिल कर पाये थे । विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पेशावर, पाकिस्तान में एक पंजाबी परिवार में हुआ था।

 इनके पिता का नाम था कृष्ण चंद खन्ना । और ये एक बहुत बड़े बिजनेसमैन थे । विनोद खन्ना की जब पैदाइश हुई थी तो आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ भारत पाकिस्तान के बँटवारे को लेकर भी माहौल गरम था । 

विनोद खन्ना जब दस या ग्यारह महीने के थे तभी मुल्क अंग्रेजों की ग़ुलामी से आज़ाद तो हुआ लेकिन इसके साथ-साथ भारत और पाकिस्तान के बँटवारे का दर्द भी दे गया।चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था । एक तरफ देश की आजादी की खुशी थी तो दूसरी तरफ बंटवारे के दर्द से पैदा हुआ साम्प्रदायिकता का जहर जिसने सब कुछ तहस नहस कर दिया था । विनोद खन्ना के पिता का बिजनेस भी इसका शिकार हुआ । और कृष्ण चंद खन्ना अपने पूरे परिवार को लेकर सपनों की नगरी बंबई के लिए निकल पड़े।

विनोद खन्ना की एक नई ज़िंदगी अब बंबई नगरी में शुरू हो गई । Saint Mary’s School से इन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई शुरू की । लेकिन कुछ सालों के बाद ही साल 1957 में इनका पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट होने के लिए निकल पड़ा । दिल्ली में शिफ्ट होने के बाद विनोद खन्ना का दाखिला अब DPS यानी दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुआ।  दिल्ली में विनोद खन्ना का पूरा परिवार महज तीन साल ही रहा, इसके बाद फिर से पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया । अब विनोद खन्ना की उम्र थी 14 साल। 

मुंबई आने के बाद इनके पिता ने विनोद खन्ना का दाख़िला अब नासिक के एक बोर्डिंग स्कूल में करा दिया। यहीं से उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई की । विनोद खन्ना बचपन से ही बहुत खूबसूरत थे ।पढ़ने लिखने में भी तेज़ तर्रार थे । लेकिन उनके अंदर एक कमी थी, और वो थी शर्मीलेपन की । विनोद खन्ना बचपन से ही बहुत ज़्यादा शर्मीले थे । एक दिन की बात है इनके एक टीचर ने इनके शर्मीलेपन को दूर करने के लिए एक नाटक में काम करने के लिए कह दिया । काम तो उन्होंने मजबूरी में किया ही  , लेकिन जब उनका performance खत्म हुआ तो उनकी खूब तारीफ़ हुई । उनके लिए तालियाँ बजी, बस यहीं से उनको एक्टिंग का चस्का भी लग गया। और उन्होंने ठान लिया कि अब तो वे एक्टर ही बनेंगे ।


बोर्डिंग स्कूल के बाद विनोद खन्ना ने कॉलेज में दाख़िला लिया जिसका नाम है Sydenham college of commerce & Economics । जब इनका दाखिला कॉलेज में हुआ तो इनके हुस्न-ओ-जमाल और चॉकलेटी चेहरा देखकर लड़कियां इनसे कहती । "अरे, तुम यहाँ क्या कर रहे हो, तुम्हें तो फ़िल्मों में हीरो होना चाहिए"।

विनोद खन्ना को ऐसे कॉम्पीमेंट्स हमेशा मिला करते थे । एक दिन की बात है एक पार्टी में विनोद खन्ना पहुँचे हुए थे । तभी इनकी मुलाक़ात दिग्गज अभिनेता सुनील दत्त से हो गई । सुनील दत्त साहब ने जब विनोद खन्ना को देखा तो उनकी क़द-काठी और खूबसुरती से काफ़ी प्रभावित हुए । दत्त साहब उन दिनों अपनी एक फ़िल्म के लिए एक नये चेहरे की तलाश भी कर रहे थे । और जब उन्होंने विनोद खन्ना को देखा तो वे उनसे पूछ बैठे । "एक फ़िल्म बना रहा हूं मैं, उसमें काम करना चाहोगे तुम?

ये सुनते ही विनोद खन्ना की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने भी उसी वक़्त हाँ कर दी । पार्टी के बाद जब वे घर गए तो उन्होंने इस बारे में अपने माता-पिता को बताया।  लेकिन उनके पिता ये सुनकर काफ़ी नाराज़ हुए । क्योंकि वे चाहते थे कि विनोद खन्ना अपना बिज़नेस सँभाले। इसलिए पिता ने साफ़ तौर से फ़िल्मों में काम करने से मना कर दिया । ये सुनकर विनोद खन्ना काफी दुखी हुए । इस बारे में उन्होंने अपनी मां से बात की। वहीं, उनकी मां ने उनके पिता को मनाया और उनके पिता मान भी गए लेकिन उन्होंने एक शर्त रख दी। उन्होंने कहा- "तुम्हारे पास सिर्फ़ दो साल का वक़्त है अगर सफल हो गए तो ठीक वरना तुम्हें अपना बिज़नेस सँभालना होगा" ।

विनोद खन्ना ने अपने पिता की शर्त मान ली। और वे हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने के लिए निकल पड़े ।
 
चुंकि विनोद खन्ना की दत्त साहब से पहले ही बात हो चुकि थी, और दत्त साहब पहले ही उन्हें फ़िल्मों में एक रोल के लिए ऑफ़र कर चुके थे। इसलिए विनोद खन्ना सीधे उनके पास पहुँचे । सुनील दत्त उन दिनों अपने भाई सोम दत्त को लॉंच करने के लिए फ़िल्म ‘मन का मीत’ बनाने वाले थे। जिसमें विनोद खन्ना को एक विलेन का किरदार ऑफ़र किया था । विनोद खन्ना ने उस नेगेटिव किरदार को बख़ूबी निभाया। हालाँकि ये फ़िल्म फ्लाप रही, सोम दत्त तो इस फ़िल्म में नहीं चल पाएँ लेकिन विनोद खन्ना की इस फ़िल्म के बाद चल पड़ी। उनके अभिनय को काफ़ी सराहा गया। और फिर क्या था इनके पास फ़िल्मों की लाइन लग गई । विनोद खन्ना ने एक साथ 15 फिल्में साइन की। कई फिल्मों में उन्होंने विलेन का किरदार निभाया। साल 1971 में उन्हें फिल्म ‘हम तुम और वो’ में हीरो का किरदार ऑफर हुआ ।और इस तरह से वो एक खूंखार खलनायक से नायक बन गए। साल 1973 में आई गुलजार की फिल्म ‘अचानक’ ने उनकी किस्मत ही बदल डाली । और इसके बाद वे बतौर हीरो फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए।

विनोद को अब कई फ़िल्में मिलने लगी, क़ुर्बानी, हेराफेरी, खूनपसीना, अमर अकबर एंथनी, मुक़द्दर का सिकंदर जैसी फ़िल्मों में विनोद खन्ना के शानदार काम ने उन्हें इंडस्ट्री में स्टार बना दिया । ये वो दौर था जब विनोद खन्ना अपने करियर के पीक पर थे, लेकिन अचानक उनकी ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आया कि वे स्टारडम को छोड़कर अध्यात्म की तरफ़ जाने लगे। दरअसल, विनोद खन्ना के पास सब कुछ था लेकिन फिर भी उनके अंदर एक ख़ालीपन भी था, मन में उतावलापन था, सब कुछ होते हुए भी उनका मन शांत नहीं था ।और यही कारण है कि अध्यात्म ने उन्हें अपनी तरफ़ खींच लिया । अपने बिजी शेड्यूल के बाद भी विनोद खन्ना अध्यात्म गुरू ओशो को सुना करते थे। अध्यात्म की तरफ़ झुकाव का एक कारण यह भी था कि महज़ एक साल में ही विनोद खन्ना के परिवार के चार सदस्यों का निधन हो गया था।  जिसमें उनकी मां और बहन भी शामिल थीं। इसके अलावा भी विनोद खन्ना की ज़िंदगी में ऐसे बहुत से हादसे हुए जिसकी वजह से विनोद खन्ना का मन अब फ़िल्मों के अलावा अध्यात्म में लगने लगा। और एक दिन मन की शांति और सन्यासी बनने के लिए उन्होंने ओशो से मुलाक़ात भी की। और इस तरह से साल 1978 के बाद उन्होंने फ़िल्मों में काम करना बंद कर दिया ।और अपने आप को पूरी तरह से अध्यात्म को समर्पित कर दिया। और ओशो के आश्रम में शिष्य बन गए । आश्रम में विनोद खन्ना का नाम रखा गया स्वामी विनोद भारती । विनोद खन्ना अब अपना ज़्यादातर वक़्त आश्रम में ही गुजराने लगे।

 कई सालों के बाद वर्ष 1985 में अध्यात्म की दुनिया को छोड़कर फिर से विनोद खन्ना ने फ़िल्म इंडस्ट्री में वापसी । इससे पहले उनकी ज़िंदगी में बहुत कुछ हो चुका था। विनोद खन्ना सब कुछ छोड़कर अमेरिका चले गए थे और वहीं आश्रम में रहने लगे थे । लेकिन साल 1985 में विनोद खन्ना जब अमेरिका से वापिस आए तो उनकी लंबी दाढ़ी वाली कई तस्वीरें अख़बारों, मैगज़ीन और पत्रिकाओं में छापा गया । तरह-तरह की बातें कहीं गई। कईयों ने तो लिखा- 

"लगता है विनोद खन्ना के पास अब पैसे ख़त्म हो गये हैं। इसलिए वे फिर से बालीवुड में काम करने आए है। अब तो इन्हें कोई काम भी नहीं देगा"।

 खैर, बहुत से लोगों ने बहुत सी बातें कहीं।  लेकिन विनोद खन्ना ने सबकी बातों को इग्नोर किया ।और विनोद खन्ना के आते ही इंडस्ट्री ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया । और दो फ़िल्में 1987 तक रिलीज़ भी हो गईं । जिनका नाम था इंसाफ़ और सत्यमेव जयते । विनोद खन्ना एक बार फिर से फ़िल्म इंडस्ट्री में बैक टू बैक सुपर हिट फ़िल्में देने लगे। इसके बाद उन्होंने राजनीति में भी अपनी क़िस्मत आज़मा डाली।

विनोद खन्ना ऐसे ही अपने ज़िंदगी को जीते गए और फ़िल्मों में काम करते गए। 21 अप्रैल 2017 को उनकी एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी जिसका नाम है एक थी रानी ऐसी भी। जब ये फ़िल्म रिलीज़ हुई तो किसी को नहीं पता था कि उनकी ये फ़िल्म उनकी ज़िंदगी की आख़िरी फ़िल्म होगी । इस फ़िल्म के रिलीज़ होने के 6 दिनों के बाद ही 21 अप्रैल 2017 को विनोद खन्ना का निधन हो गया। विनोद खन्ना ने मुंबई के एच एन रिलायंस अस्पताल में गुरूवार की सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर हमेशा हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया।  दरअसल, विनोद खन्ना कई सालों से ब्लडर कैंसर से जूझ रहे थे । उन्होंने ये बात मीडिया से भी छुपा रखी थी। विनोद खन्ना का जब निधन हुआ तो बॉलीवुड गमगीन था, विनोद खन्ना के फैंस दुखी थे। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि अचानक ये कैसे हो गया। क्योंकि उनका परिवार ये कहते रहा था कि विनोद खन्ना स्वास्थ हैं । और जल्द ही सबके सामने होंगे। खैर, मौत को कौन टाल सकता है । एक न एक दिन सबको ही जाना है । और विनोद खन्ना के साथ भी ऐसा ही हुआ। और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

तो ये थी विनोद खन्ना की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ झलकियाँ जो हमने आपको बताई । उम्मीद है आपको अच्छी लगी होगी। बॉलीवुड से जुड़ी ऐसी दिलचस्प और अनसुने कहानियों को जानने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूले।
लाइव अपडेट
Advertisement
Captain (Dr.) Sunaina Singh का ये Podcast आपकी जिंदगी में Positivity भर देगा !
Advertisement