Shimla Sanjauli Masjid Protest: संजौली मस्जिद विवाद क्या है, 14 साल पुरानी चिंगारी कैसे भड़की?
Shimla Sanjauli Masjid Protest: हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली में मस्जिद में अवैध निर्माण (Shimla Sanjauli Masjid Case) को लेकर एक बार फिर से जमकर बवाल हो रहा है. ऐसे में बुधवार को संजौली में धारा 163 टूट गई और पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हुई है. पुलिस ने जहां लाठीचार्ज किया है.।

Shimla Sanjauli Masjid Protest: शिमला का संजौली क्षेत्र इन दिनों विवादों का केंद्र बना हुआ है। यहां स्थित एक मस्जिद का अवैध निर्माण का मामला तूल पकड़ चुका है, जिसमें लाठीचार्ज, पथराव और वॉटर कैनन तक की नौबत आ गई। हिंदू संगठनों के भारी विरोध और प्रदर्शन ने इस विवाद को और गंभीर बना दिया है। आइए, जानते हैं संजौली मस्जिद विवाद आखिर क्या है, और इसकी शुरुआत कैसे हुई, और क्यों यह मामला आज इतना विवादास्पद हो चुका है।
क्या है संजौली मस्जिद विवाद?
संजौली मस्जिद विवाद कोई नया मुद्दा नहीं है, यह मामला 14 साल पुराना है। विवाद की जड़ मस्जिद के कथित अवैध निर्माण में छिपी है, जो शिमला नगर निगम के अधीनस्थ कोर्ट में 2010 से लंबित है। मस्जिद के इस निर्माण को अवैध घोषित करते हुए नगर निगम ने कई बार नोटिस जारी किए, लेकिन इसके बावजूद मस्जिद की चार से पांच मंजिलें अवैध रूप से खड़ी कर दी गईं। जबकी शिमला में केवल ढाई मंजिल ही बनाने की मंजूरी है। बड़ी बात तो है यह है कि यहां पर तीन सरकारें आईं, लेकिन इस पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
अगस्त 2024 में, संजौली के मल्याणा क्षेत्र में एक दुकान पर काम करने वाले 37 वर्षीय विक्रम सिंह पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। हमले के आरोपियों में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे, जिन्होंने विक्रम पर डंडे और रॉड से हमला किया। इस घटना के बाद, ऐसी जानकारी सामने आई कि आरोपी मस्जिद में जाकर छिप गए थे। इस खबर ने आग में घी का काम किया और लोगों का गुस्सा भड़क उठा, जिसके बाद 14 साल पुराने अवैध निर्माण के मामले को दोबारा उछाला गया।
विवाद क्यों भड़का?
शिमला विधानसभा में भी यह मसला गूंजा, जहां कांग्रेस विधायक और सुक्खू सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद को अवैध करार दिया। उन्होंने न केवल लव जिहाद का मुद्दा उठाया बल्कि शिमला में रोहिंग्या मुसलमानों के होने का भी दावा किया। उनके इस बयान ने पूरे मामले को और भड़का दिया। जिसके बाद इस पूरे मामले पर एंट्री हुई AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी की, जिन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार बीजेपी की भाषा बोल रही है और 'मोहब्बत की दुकान' का नारा सिर्फ दिखावा है।
विक्रमादित्य सिंह का बयान
कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोर्ट मस्जिद को अवैध करार देती है, तो उसे गिराया जाएगा। उनका कहना था कि कानून के तहत जो भी प्रक्रिया होगी, उसी के अनुसार मस्जिद को हटाया जाएगा।
हिंदू संगठनों का प्रदर्शन
इस विवाद के चलते हिंदू संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। चौड़ा मैदान से लेकर संजौली तक हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और मस्जिद को गिराने की मांग की। देव भूमि क्षत्रिय संगठन के नेतृत्व में हिंदू संगठनों ने संजौली में हनुमान चालीसा का पाठ और धार्मिक नारे लगाए, जिससे यह प्रदर्शन और भी आक्रामक हो गया।
अब संजौली मस्जिद विवाद केवल अवैध निर्माण तक सीमित नहीं रह गया है। यह अब धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। कोर्ट के फैसले के इंतजार में दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं। वहीं, इलाके में तनाव का माहौल बरकरार है, और किसी भी वक्त स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। संजौली मस्जिद विवाद ने न केवल हिमाचल बल्कि देश भर में धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा खड़ा कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में कोर्ट का फैसला क्या होगा और इस विवाद का अंत कैसे होगा।
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