जानिए क्या है 'वर्चुअल प्रिजन'? अब कैदी जेल में नहीं अपने घर पर ही कांटेंगे सजा
what is Virtual Prison?: जेल का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में अंधेरी कोठरी और लोहे की जालियाँ सामने आती हैं। लेकिन अब ब्रिटेन में एक नई व्यवस्था की योजना बनाई जा रही है, जिसमें अपराधी अपने घर पर रहकर सजा काट सकेंगे। यह 'वर्चुअल प्रिजन' की अवधारणा है, जिसका मुख्य उद्देश्य जेल में बढ़ती भीड़ और कैदियों की संख्या को नियंत्रित करना है।

what is Virtual Prison? ब्रिटेन में जेलों की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है। हाल ही में, देश की जेलों में कैदियों की संख्या ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि कई जेलों में एक कैदी के लिए बने सेल में दो कैदी रह रहे हैं। इस भीड़भाड़ के समाधान के लिए ब्रिटेन की नई लेबर सरकार ‘वर्चुअल प्रिजन’ की व्यवस्था पर विचार कर रहा है। जी हां जहां जेल का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में अंधेरी कोठरी और लोहे की जालियाँ सामने आती हैं। लेकिन अब ब्रिटेन में एक नई व्यवस्था की योजना बनाई जा रही है, जिसमें अपराधी अपने घर पर रहकर सजा काट सकेंगे। यह 'वर्चुअल प्रिजन' की अवधारणा है, जिसका मुख्य उद्देश्य जेल में बढ़ती भीड़ और कैदियों की संख्या को नियंत्रित करना है।
क्या है वर्चुअल प्रिजन?
वर्चुअल प्रिजन के तहत, अपराधी अपनी सजा के अंतिम 6 महीने अपने घर पर रहकर काट सकेंगे। इस व्यवस्था के तहत, उन्हें जीपीएस टैग, स्मार्टफोन और अन्य डिवाइसें पहनाई जाएंगी, जिससे उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सकेगी। यह प्रणाली एक प्रकार की होम डिटेंशन कर्फ्यू (एचडीसी) प्रणाली पर आधारित होगी। ब्रिटेन में जेलों की भीड़ के कारण यह विचार सामने आया है।
कैसे काम करेगा वर्चुअल प्रिजन?
वर्चुअल प्रिजन में रह रहे कैदियों को जेल की रूटीन की तरह रोजाना नशा मुक्ति कोर्स में भाग लेना होगा और अपने टास्क के बारे में अधिकारियों को सूचित करना होगा। इस व्यवस्था का उद्देश्य न केवल कैदियों की सजा पूरी करना है, बल्कि उन्हें समाज में पुनः एकीकृत करना भी है।
कैदियों की बढ़ती संख्या का संकट
ब्रिटेन की जेलों में कैदियों की संख्या पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ी है। सितंबर में जारी आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन की जेलों में 88,521 कैदी बंद थे। यह संख्या प्रति 100,000 जनसंख्या पर लगभग 150 कैदियों के बराबर है, जो यूरोप के अन्य देशों की तुलना में अधिक है। कई जेलों में एक कैदी के लिए बने सेल में दो कैदी रखे जा रहे हैं, जिससे स्थिति और भी खराब हो रही है।
सरकार की नई योजनाएं
इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए ब्रिटेन की नई लेबर सरकार ने एक जल्दी रिहाई कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत, कैदी अपनी सजा का 40 प्रतिशत जेल में बिताने के बाद रिहाई के पात्र होंगे। हालांकि, चार साल या उससे अधिक की गंभीर हिंसक अपराधों की सजा काट रहे कैदियों को इस योजना से बाहर रखा गया है।
ब्रिटेन में एक कैदी पर सालाना 103,000 डॉलर का खर्च आता है, जबकि वर्चुअल प्रिजन प्रणाली वास्तविक जेलों की तुलना में बहुत कम खर्चीली होगी। जीपीएस टैग की लागत प्रति दिन लगभग 9 यूरो है, जो कि पारंपरिक जेल व्यवस्था के मुकाबले बेहद किफायती है। वर्चुअल प्रिजन का विचार न केवल अपराधियों को अपने घरों में रहने की सुविधा देगा, बल्कि यह उनके लिए सुधार का एक अवसर भी प्रदान करेगा। यह व्यवस्था न केवल कैदियों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे अपराधियों को समाज में पुनः एकीकृत करने में मदद मिलेगी, जिससे वे अपराध की दुनिया में लौटने की बजाय एक नए जीवन की ओर अग्रसर हो सकें।
वर्चुअल प्रिजन की अवधारणा न केवल ब्रिटेन में कैदियों के लिए एक नया विकल्प है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत भी है कि कैसे आधुनिक तकनीक का उपयोग करके जेल की व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह एक नई दिशा दिखा सकती है कि कैसे हम कैदियों को उनके घरों में रहकर सुधारित कर सकते हैं और समाज के एक सक्रिय सदस्य के रूप में उनकी वापसी सुनिश्चित कर सकते हैं।
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