लॉरेंस बिश्नोई कैसे 12 साल से जेल में बैठकर देता है खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम
भारत में अपराध की दुनिया का बड़ा नाम बन चुके लॉरेंस बिश्नोई ने अपनी गैंगस्टर गतिविधियों को जेल में रहते हुए भी जारी रखा है। बिश्नोई, जो फिलहाल साबरमती जेल में बंद है, ने अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। जेल में रहकर वो कैसे चला रहा है खतरनाक गैंग ऑपरेशन जानिए।

लॉरेंस बिश्नोई का नाम आज अपराध की दुनिया में दहशत का दूसरा नाम बन चुका है। 12 साल से जेल की सलाखों के पीछे होने के बावजूद, बिश्नोई लगातार हत्या, धमकी और वसूली जैसी अपराधों को अंजाम दे रहा है। सवाल यह उठता है कि एक दशक से भी ज्यादा समय से अलग-अलग जेलों में बंद होने के बावजूद, वह इतने बड़े अपराध साम्राज्य को कैसे चला पा रहा है?
लॉरेंस बिश्नोई: शुरुआत से जुर्म की दुनिया तक
लॉरेंस बिश्नोई, जिसका असली नाम सतविंदर सिंह है, सतविंदर का जन्म 1993 में पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुआ था। कॉलेज के दिनों में ही उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। और 2010 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में पढ़ाई करते समय, उसने पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल का हिस्सा बनकर स्टूडेंट पॉलिटिक्स में प्रवेश किया। यहीं उसकी मुलाकात गोल्डी बरार जैसे अपराधियों से हुई, जिनके साथ मिलकर उसने संगठित अपराध में कदम बढ़ाया।
बिश्नोई ने अपने पहले संगीन अपराध 2010 में चंडीगढ़ में किए, जब उसके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें हत्या की कोशिश, धमकी देना, और आर्म्स एक्ट के तहत मामले शामिल थे। 2013 में, उसने पंजाब के मुक्सर कॉलेज में एक प्रतिद्वंद्वी की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसका अपराध रिकॉर्ड तेजी से बढ़ता गया।
वर्ष 2022 में बिश्नोई ने सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या की साजिश रचने के आरोप में फिर सुर्खियां बटोरीं। 2024 में भी बिश्नोई पर सलमान खान और अन्य प्रमुख हस्तियों के खिलाफ हमले की साजिश के आरोप लगे। फिलहाल, वह गुजरात के साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है, लेकिन उसका गिरोह भारत और विदेशों में सक्रिय है।
जेल में रहते हुए भी साम्राज्य का संचालन
लॉरेंस को पहली बार 2012 में बठिंडा जेल में डाला गया था। इसके बाद कई बार उसे अलग-अलग जेलों में शिफ्ट किया गया, लेकिन उसने कभी अपने ऑपरेशंस को रुकने नहीं दिया। उसकी गिरफ्तारी के बावजूद, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में उसका प्रभाव लगातार बढ़ता गया। वर्ष 2022 में बिश्नोई ने सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या की साजिश रचने के आरोप में फिर सुर्खियां बटोरीं। उस वक्त गोल्डी बरार ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली थी, जबकि बिश्नोई उस वक्त तिहाड़ जेल में बंद था। जिसके बाद 2023 में, उसे तिहाड़ जेल से साबरमती जेल शिफ्ट किया गया, लेकिन इसका भी उसके आपराधिक कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
लॉरेंस बिश्नोई ने सलमान खान को भी खुलेआम धमकी दी है। काले हिरण शिकार मामले में सलमान का नाम आने के बाद से बिश्नोई और उसके गैंग ने अभिनेता को निशाना बनाया है। अप्रैल 2024 में, सलमान खान के गैलेक्सी अपार्टमेंट पर फायरिंग की घटना को भी बिश्नोई गैंग से जोड़ा गया। फिलहाल, वह गुजरात के साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है, लेकिन उसका गिरोह भारत और विदेशों में सक्रिय है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जेल में रहने के बावजूद भी लॉरेंस बिश्नोई कैसे अपने गैंग को चला रहा है, हालिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बिश्नोई VoIP कॉल्स और वीडियो कॉल्स का इस्तेमाल करके अपने गैंग के सदस्यों के साथ संपर्क बनाए रखता है।
वैसे आपको बताते चलें कि 2022 तक, लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ 36 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से 9 में वह बरी हो चुका है, जबकि 6 मामलों में उसे सजा मिल चुकी है। बाकी 21 मामले अभी विचाराधीन हैं। इन मामलों में हत्या, हत्या के प्रयास, वसूली, और अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं।
बिश्नोई गैंग की दाऊद से तुलना
लॉरेंस बिश्नोई की तुलना अक्सर दाऊद इब्राहिम से की जाती है। जैसे दाऊद ने 90 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड पर कब्जा जमाया था, ठीक वैसे ही बिश्नोई भी पूरे उत्तर भारत में अपना नेटवर्क फैला चुका है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिश्नोई का गैंग भारत के 5 राज्यों में 700 से ज्यादा शूटरों के साथ काम कर रहा है। बिश्नोई ने भी दाऊद की तरह ही जेल से अपने आपराधिक ऑपरेशंस को बढ़ावा दिया है।
NIA की चार्जशीट में बिश्नोई के खालिस्तान समर्थक गुटों के साथ भी कनेक्शन बताए गए हैं। इन गुटों के सहयोग से वह अपने नेटवर्क को और भी मजबूत कर रहा है। बिश्नोई की जेल में रहते हुए भी लगातार बढ़ती ताकत का सबसे बड़ा कारण यही नेटवर्क और अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन माने जाते हैं।
जेल से कैसे जारी रहता है ऑपरेशन?
लॉरेंस बिश्नोई के गैंग को चलाने का तरीका पूरी तरह से संगठित और अत्याधुनिक है। जेल में रहते हुए भी, उसने 'डब्बा कॉलिंग' और अन्य गुप्त तकनीकों के माध्यम से अपने गिरोह को निर्देश देना जारी रखा है। माना जाता है कि बिश्नोई ने जेल अधिकारियों के साथ मिलीभगत की, जिससे उसे मोबाइल फोन और अन्य उपकरण प्राप्त हो सके। यह भी कहा जाता है कि वह इंटरनेट आधारित कॉलिंग सिस्टम्स का इस्तेमाल करता है, जिससे उसकी बातचीत का पता लगाना और भी कठिन हो जाता है।
क्या है 'डब्बा कॉलिंग'?
'डब्बा कॉलिंग' एक ऐसी तकनीक है, जिसका इस्तेमाल गैंगस्टर और अपराधी पुलिस की निगरानी से बचने के लिए करते हैं। इसमें वे फोन कॉल्स के लिए वीओआइपी (Voice Over Internet Protocol) और सैटेलाइट फोन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिये किए गए कॉल्स को ट्रैक करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई इसी तकनीक का इस्तेमाल करके जेल से अपने गिरोह के सदस्यों को निर्देशित करता है।
डब्बा कॉलिंग में विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सिम कार्ड और सैटेलाइट कम्युनिकेशन का उपयोग होता है। यह कॉल्स सामान्य नेटवर्क से नहीं होते, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों के लिए इनका पता लगाना बेहद कठिन होता है। ऐसे कॉल्स ट्रैक करने के लिए उन्नत तकनीकों की जरूरत होती है, जो हर बार सुरक्षा एजेंसियों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
जेल प्रशासन के सामने चुनौतियाँ
बिश्नोई की 'डब्बा कॉलिंग' की तकनीक ने जेल प्रशासन और पुलिस के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। जेल में बंद अपराधियों के पास अत्याधुनिक तकनीक और उपकरण कैसे पहुँचते हैं, यह सवाल लगातार उठता रहता है। इस मामले में कई बार जेल अधिकारियों पर उँगलियाँ उठी हैं, जो लॉरेंस बिश्नोई जैसे खतरनाक अपराधियों को मदद पहुँचाने के आरोप में संलिप्त पाए गए हैं।हालांकि, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के प्रयास कर रही हैं। कई बार जेलों में छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन, सिम कार्ड, और अन्य अवैध उपकरण जब्त किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद बिश्नोई जैसे गैंगस्टर अपने नेटवर्क का संचालन कर रहे हैं।
जिस तरह से लॉरेंस बिश्नोई का नेटवर्क दिन-ब-दिन फैलता जा रहा है और उसकी जेल से बाहर आने की कोई संभावना नहीं दिख रही। बावजूद इसके, वह जेल से ही अपने गैंग को चला रहा है। उसकी ताकत और नेटवर्क का जाल उसे अभी भी एक बड़ा खतरा बनाता है, जिससे पुलिस और जांच एजेंसियों को निपटना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।