‘मस्जिदें तुमने बनाई मंदिरों को तोड़कर…क्या मस्जिदें बन नहीं सकती थी मंदिरों को छोड़कर’
बाबर और औरंगजेब को मसीहा मानने वाले एजेंडाधारियो की पोल कुमार विश्वास ने अपने बयान से खोलकर रख दी है, वो जो कहते हैं कि, हमारी मस्जिदें छीन ली जा रही है, उनको भी कवि कुमार विश्वास ने करारा जवाब दे दिया है

कविवर कुमार विश्वास इस वक़्त फ़ायर मूड में है, एक-एक बयान से बवाल काट रहें है, कभी इशारों इशारों में ऐसी बात बोल रहें हैं कि, मेरठ से लेकर मुंबई तक हिल जा रहा है, क्योंकि बात तो सच ही है कि, घर का नाम रामायण और बेटी कोई और ले जाए तो सवाल लाज़मी है, खैर अब कवि डॉ कुमार विश्वास ने जो कहा उसने सिर्फ़ चिंगारी नहीं सुलगाई है, बल्कि आग लगा दी, बाबर और औरंगजेब को मसीहा मानने वाले एजेंडाधारियो की भी पोल कुमार विश्वास ने अपने बयान से खोलकर रख दी है, वो जो कहते हैं कि, हमारी मस्जिदें छीन ली जा रही है, उनको भी कवि कुमार विश्वास ने करारा जवाब दे दिया है, खैर सच तो यही है कि जब ये मुग़ल आक्रांता आए तो कहीं भी मस्जिदें बना सकते थे, न ज़मीन की कोई चिंता थी, न रजिस्ट्री कराने की, लेकिन इन मुग़ल लुटरे आतातायियों ने मस्जिदें वहीं बनाई जहां से सनातन की विजय पताका लहराती थी, जो सनातन के तीर्थ रहे, और उसका सीधा सा कारण था, संस्कृति कुचल कर उसके अस्तित्व को मिटाना, जिसका जीता जागता उदाहरण है, संभल, काशी, मथुरा।
महादेव की काशी जो सनातनियों का गर्व है, उसी काशी विश्वनाथ में घुसकर ज्ञानवापी को हड़प कर उसपर मस्जिद बनाई मुग़लिया लुटेरे औरंगजेब ने, जहां कृष्ण की जन्मस्थली है वहां पर भी मुग़ल आक्रांता औरंगजेब ने अस्तित्व मिटाने की कोशिश और एकदम सटाकर बना दी शाही ईदगाह वो भी भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को तोड़कर, संभल में भी मंदिर चोरी का आरोप लग चुका है और यहां ये कारनामा किया मुग़ल आक्रांता जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर ने, बदायूं में काम जारी है, भोजशाला पर भी सवाल हैं, अयोध्या में जो कुकर्म मुगल कमांडर मीर बाकी ने किया उसका हिसाब लिया जा चुका है, राजा राघवेंद्र सदियों बाद भव्य और दिव्य तरीक़े से अपने गर्भगृह में विराजमान हो चुके हैं।ऐसे में कविवर डॉ कुमार विश्वास कहते हैं। मस्जिदें तुमने बनाई मंदिरों को तोड़कर।क्या मस्जिदें बन नहीं सकती थी मंदिरों को छोड़कर।
यानि जब मुग़ल आक्रांता आए तो देश में कहीं भी मस्जिदें बना सकते थे, किसी बात की कोई टेंशन भी नहीं थी, न ज़मीन की, न रजिस्ट्री की, न RSS की, न हिंदू संगठनों की, न योगी आदित्यनाथ की ।
लेकिन इन मुग़लों ने बड़ी तैयारी के साथ सनातन प्रतीकों पर प्रहार किया, मुगल साम्राज्य के दौरान अनगिनत मंदिरों को तोड़ा गया,
औरंगज़ेब ने इस्लाम की स्थापना के लिए सभी प्रांतों में मंदिरों और स्कूलों को तोड़ा ।
इतिहास बताता है कि "खंडेला, जोधपुर, उदयपुर और चित्तौड़ में मंदिरों सहित सैकड़ों हिंदू मंदिरों को औरंगज़ेब या उनके कमांडरों ध्वस्त कर दिया गया था, सितंबर 1669 में, औरंगजेब ने वाराणसी में प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक, काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया था"
अब्राहम एराली के अनुसार "1670 में औरंगज़ेब ने उज्जैन के आसपास के सभी मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था बाद में 300 मंदिरों को चित्तौड़, उदयपुर और जयपुर के आसपास तोड़ा, 1705 के दौरान भी मंदिरों को नष्ट कर दिया गया"
कुख्यात औरंगज़ेब की सल्तनत इसी नियम पर चली और जहां-जहां मंदिर थे वहां तोड़कर मस्जिद और ईदगाह बना दिए गए, सोमनाथ का भी अस्तित्व मिटाने का कोशिश इन मुग़ल आतातायियों ने कई बार की "सोमनाथ मंदिर को 17 बार तोड़ा गया, हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया, 1026 से लगातार महमूद गज़नी ने सोमनाथ मंदिर को लूटा, 1395 में सुल्तान मुज़फ़्फ़रशाह ने मंदिर को तुड़वाकर चढ़ावा लूट लिया था, 1412 में, मुज़फ़्फ़रशाह के बेटे अहमद शाह ने भी सोमनाथ मंदिर को लूटा, औरंगजेब कैसे पीछे रहता, 1665 और 1706 में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा उसने और लूट लिया"
खैर अब जिन मंदिरों को तोड़कर लूटा गया और मस्जिद, ईदगाह बनाई गई, उसे लेने की तैयारी चल रही है, कई जगह सर्वे हो चुके हैं, कई जगह के मामले कोर्ट में हैं, कई जगह के सबूत इकट्ठे किए जा रहें हैं तो कई जगह पर दावा ठोकने की तैयारी है और इसी बीच कवि कुमार विश्वास के बयान ने हलचल पैदा कर दी है। मस्जिदें तुमने बनाई मंदिरों को तोड़कर। क्या मस्जिदें बन नहीं सकती थी मंदिरों को छोड़कर।
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