WEDNESDAY 16 APRIL 2025
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क्या सच में धरती पर खत्म हो जाएगी ऑक्सीजन ? जानें क्या कहती है यह चौंकाने वाली रिसर्च?

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर धरती से ऑक्सीजन खत्म हो जाए, तो क्या होगा? यह सवाल सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों की ताजा रिसर्च में जो खुलासा हुआ है, वह वाकई चौंकाने वाला है!

क्या सच में धरती पर खत्म हो जाएगी ऑक्सीजन ? जानें क्या कहती है यह चौंकाने वाली रिसर्च?
दुनिया भर के वैज्ञानिक लगातार दूसरे ग्रहों पर जीवन तलाशने में जुटे हैं। मंगल से लेकर चंद्रमा तक इंसानी बस्तियां बसाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। लेकिन इसी बीच धरती को लेकर आई एक रिसर्च ने सभी को चौंका दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक दिन ऐसा आएगा जब धरती से पूरी ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी और इंसानी जीवन का अंत हो जाएगा! यह सवाल जितना डराने वाला है, उतना ही महत्वपूर्ण भी। वैज्ञानिकों ने रिसर्च के आधार पर यह भी बताया है कि यह भयानक दिन कब आएगा और इसके पीछे की असली वजह क्या होगी?
ऑक्सीजन कैसे खत्म होगी?
धरती पर जीवन का आधार ऑक्सीजन है। अगर यह खत्म हो गई, तो न केवल इंसान, बल्कि सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे भी समाप्त हो जाएंगे। इस शोध में वैज्ञानिकों ने यह समझने की कोशिश की कि पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन कैसे बनी, उसमें समय के साथ क्या बदलाव हुए और भविष्य में क्या होने वाला है। वैज्ञानिकों ने बायोजियोकेमिकल और क्लाइमेट मॉडल का इस्तेमाल कर इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की। इस रिसर्च में पाया गया कि भविष्य में पृथ्वी पर सौर प्रवाह (Solar Flux) में बदलाव होगा।
सूर्य का तापमान बढ़ेगा, यानी जैसे-जैसे सूर्य बूढ़ा होता जाएगा, उसकी गर्मी बढ़ती जाएगी। ग्रीनहाउस इफेक्ट बढ़ेगा, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसों की मात्रा बढ़ जाएगी। ऑक्सीजन धीरे-धीरे खत्म होगी, सौर ऊर्जा की बढ़ोतरी के कारण पृथ्वी की जलवायु में बदलाव होगा, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जाएगी।  जब ऑक्सीजन एक निश्चित स्तर से नीचे चली जाएगी, तो इंसानों और अन्य जीवों का जीवित रहना असंभव हो जाएगा।
कब खत्म होगी ऑक्सीजन? 
वैज्ञानिक कजूमी ओजाकी और उनकी टीम ने गणना की है कि धरती से ऑक्सीजन पूरी तरह खत्म होने में लगभग 1 अरब साल (100 करोड़ साल) लगेंगे। हालांकि, इस बीच धीरे-धीरे ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाएगी, जिससे कई जीव-जंतु पहले ही विलुप्त हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार, जैसे-जैसे सूर्य गर्म होगा, वैसे-वैसे वातावरण में मीथेन गैस की मात्रा बढ़ेगी और ऑक्सीजन धीरे-धीरे समाप्त होगी। यानी, पृथ्वी का भविष्य पहले से ही तय है। एक दिन यह एक ऐसी जगह बन जाएगी जहां जीवन संभव नहीं रहेगा!
वैसे आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब धरती पर ऑक्सीजन खत्म होने की बात हो रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2.4 अरब साल पहले "आर्कियन ईऑन युग" में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उस समय वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो गई थी और कई जीवन रूप नष्ट हो गए थे। इस घटना को "The Great Oxidation Event" के नाम से जाना जाता है। आज भले ही हमारी पृथ्वी पर 21% ऑक्सीजन मौजूद है, लेकिन भविष्य में इसकी मात्रा घटती जाएगी और अंततः धरती पर जीवन असंभव हो जाएगा।
धरती पर बढ़ेगा तापमान, विलुप्त हो जाएंगे इंसान!
वैज्ञानिकों का मानना है कि जब ऑक्सीजन खत्म होगी, तो धरती पर रहने वाले सभी स्तनधारी जीवों (मेमल्स) का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। अत्यधिक गर्मी और जलवायु परिवर्तन के कारण इंसानों और जानवरों के लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की एक अन्य रिसर्च में कहा गया है कि पृथ्वी के अलग-अलग महाद्वीप एक साथ मिलकर एक नया महाद्वीप बनाएंगे। इस महाद्वीप पर तापमान 50 डिग्री सेल्सियस (122°F) से भी ज्यादा हो सकता है, जिससे जीवन लगभग असंभव हो जाएगा। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इंसान इस तबाही से बच सकते हैं? इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास दो संभावनाओं में छिपा है। 
हालांकि नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल और चंद्रमा पर इंसानी बस्तियां बसाने की योजना बना रही हैं। अगर समय रहते इंसान दूसरे ग्रह पर बसने में सफल हो गए, तो शायद हम इस खतरे से बच सकते हैं।
धरती को बचाने की कोशिश
ग्रीनहाउस इफेक्ट को कंट्रोल करना और पर्यावरण संरक्षण करना एकमात्र तरीका है जिससे इस प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है। अगर हम अभी से प्रदूषण को कम करें, तो ऑक्सीजन के खत्म होने की प्रक्रिया को कुछ लाख साल तक टाला जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी के समय में हमें ऑक्सीजन की कोई कमी महसूस नहीं होगी। यह प्रक्रिया बहुत धीमी है और इसे पूरा होने में एक अरब साल का समय लगेगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम निश्चिंत होकर बैठ जाएं। जलवायु परिवर्तन, जंगलों की कटाई और प्रदूषण पहले से ही धरती के वायुमंडल को प्रभावित कर रहे हैं। अगर हमने अभी से ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले कुछ हजार वर्षों में ही ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगेगी।
धरती पर ऑक्सीजन खत्म होने का खतरा वास्तविक है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सूरज की बढ़ती गर्मी और जलवायु परिवर्तन के कारण यह प्रक्रिया अगले 1 अरब साल में पूरी हो जाएगी। इस दौरान पृथ्वी पर मीथेन जैसी जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ जाएगी, तापमान असहनीय हो जाएगा और इंसानों सहित सभी जीव-जंतुओं का अस्तित्व खत्म हो सकता है। लेकिन इंसान बुद्धिमान हैं, अगर हमने दूसरे ग्रहों पर जीवन बसाने की योजना सफल बना ली, तो शायद हम इस तबाही से बच सकते हैं। वरना, एक दिन धरती भी उन्हीं बेजान ग्रहों की तरह हो जाएगी, जिनकी खोज में हम आज समय बर्बाद कर रहे हैं!
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