SATURDAY 19 APRIL 2025
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दिग्गज पत्रकार ने क्यों कहा- 'चाणक्य' Shah के लिए फौलादी Yogi को हटाना आसान नहीं

इस बार लोकसभा चुनाव में पूरी बीजेपी यूपी में महज 33 सीटों पर सिमट गई, बस यहीं से दिल्ली और लखनऊ के बीच जंग छिड़ गई और मीडिया में ये खबरें आने लगीं कि योगी को सत्ता से हटाने की तैयारी हो रही है।लेकिन दैनिक भास्कर जैसे बड़े अखबार के राजनीतिक संपादक केपी मलिक की मानें तो, फौलादी योगी ने यूपी में इतनी मजबूती से खूंटा गाड़ दिया है जिसे उखाड़ना दिल्ली वाले चाणक्य के बस की बात नहीं है

दिग्गज पत्रकार ने क्यों कहा- 'चाणक्य' Shah के लिए फौलादी Yogi को हटाना आसान नहीं

चार जून से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबकुछ सामान्य था, कहीं कोई सियासी लड़ाई नजर नहीं आ रही थी और ना ही योगी को सत्ता से हटाने की कोई खबरें आ रही थीं ।लेकिन जैसे ही चार जून को चुनावी नतीजे आए मानो उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया। क्योंकि जिस उत्तर प्रदेश से मोदी और शाह को अस्सी में से कम से कम सत्तर सीटें जीतने की उम्मीद थी, चुनावी नतीजों ने मोदी शाह की वो उम्मीद तोड़ दी और पूरी बीजेपी यूपी में महज 33 सीटों पर सिमट गई। बस यहीं से दिल्ली और लखनऊ के बीच जंग छिड़ गई और मीडिया में ये खबरें आने लगीं कि योगी को सत्ता से हटाने की तैयारी हो रही है। लेकिन दैनिक भास्कर जैसे बड़े अखबार के राजनीतिक संपादक केपी मलिक की मानें तो, फौलादी योगी ने यूपी में इतनी मजबूती से खूंटा गाड़ दिया है जिसे उखाड़ना दिल्ली वाले चाणक्य के बस की बात नहीं है।

ये बात तो पूरा देश जानता है कि बीजेपी शासित राज्यों में, सत्ता से मुख्यमंत्री को हटाना मोदी और शाह के लिए कोई नई बात नहीं है। साल 2017 से 2021 के बीच उत्तराखंड में तो मोदी शाह ने तीन मुख्यमंत्री बदल दिया।

उत्तराखंड में तीन बार बदले मुख्यमंत्री

  • साल 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बनाए गये
  • मार्च 2021 में तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया
  • जुलाई 2021 में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया

बीजेपी शासित गुजरात में भी मोदी और शाह ने मुख्यमंत्री बदलने का खेल जारी रखा और साल 2017 में चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने विजय रुपाणी को साल 2021 में कुर्सी से हटा कर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया। तो वहीं त्रिपुरा में साल 2018 का चुनाव में जीत कर बिप्लब देव मुख्यमंत्री बने लेकिन 2023 के चुनाव से ठीक पहले उन्हें सत्ता से हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया गया।इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के दौरान तो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को कुर्सी से हटाकर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।इसी बात से समझ सकते हैं कि मोदी और शाह के लिए मुख्यमंत्री बदलना कोई नया खेल नहीं है और यही खेल अब बीजेपी लगता है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ खेलना चाहती है।लेकिन एक बात तो तय है कि योगी को कुर्सी से हटाना मोदी और शाह के लिए इतना भी आसान नहीं है, ये बात खुद दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक केपी मलिक मानते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर किये गये एक पोस्ट में लिखा-

साहेब और उनके सिपेहसालार ने पिछले एक महीने में बाबा का खूंटा उखाड़ने के सारे जतन कर लिए, परंतु बाबा का बाल भी बांका नहीं कर पाए, लखनऊ की समीक्षा बैठक में भी बाबा विरोधियों की मंशाओं पर पानी फिर गया, बाबा का खूंटा बहुत गहरा गड़ा हुआ है, कहीं ऐसा ना हो कि उसे उखाड़ने के चक्कर में साहेब के ही पैर उखड़ जाएं, दिल्ली के चाणक्य पड़े कुंद, बाबा के फौलादी हौसले बुलंद।

बीजेपी ये बात मान कर चल रही थी कि उसे राम मंदिर बन जाने के बाद यूपी से कम से कम फुल सपोर्ट मिलेगा, लेकिन 33 सीटों पर सिमटी बीजेपी के सारे सपने टूट गये और इसी हार का ठीकरा योगी पर फोड़ने की कोशिश की जा रही है।जिससे यूपी का सियासी तापमान बढ़ गया है और ये खबरें आने लगी हैं कि योगी को हटाने के लिए दिल्ली में रणनीति बन रही है।इन तमाम सियासी अटकलों के बीच पत्रकार केपी मलिक ने कहा-

2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी हार की समीक्षा कर रही है, एक दिन पहले ही लखनऊ में ब्लॉक प्रमुख से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक करीब 3000 लोगों की बैठक हुई, जिसमें कहा गया कि पार्टी कार्यकर्ताओं की थी कार्यकर्ताओं की है और कार्यकर्ताओं की रहेगी अब पार्टी में कार्यकर्ताओं का सम्मान करने की बात कही जा रही है, भारतीय जनता पार्टी को जहां पहले संघ की आवश्यकता नहीं थी, अब शायद पार्टी कार्यकर्ताओं और सहयोगी संगठनों की याद सताने लगी है, योगी आदित्यनाथ को घेरने के लिए उनके चारों तरफ जिस प्रकार से दिल्ली के मोहरे बिठा दिए गए थे जिससे उनको टाइट किया जा सके, ऐसी सिचुएशन में भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में क्या करना चाहती थी? आज उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की जो स्थिति है उसका जिम्मेदार कौन है? इस पर चर्चा चल रही है ! क्या इसके लिए विरोधी सियासी दल जिम्मेदार है? कार्यकर्ता जिम्मेदार हैं? या भीतरघात जिम्मेदार है? या अफसरशाही और प्रशासन जिम्मेदार है? इसका मंथन भारतीय जनता पार्टी में चल रहा है। लेकिन क्या माना जाए कि शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी को इसी बहाने निपटाना चाहती है? लेकिन मेरा मानना यह है कि योगी का खूंटा इतना मजबूत है कि उसको आसानी से उखाड़ पाना शीर्ष नेताओं के लिए मुश्किल होगा।

मोदी और शाह, गुजरात, उत्तराखंड, त्रिपुरा, हरियाणा जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भले ही बड़ी आसानी से सत्ता से हटा दिया हो लेकिन ये उत्तर प्रदेश है।जहां योगी आदित्यनाथ जैसे महंत सत्ता संभाल रहे हैं, जिन्होंने अपने काम के दम पर यूपी में ऐसा खूंटा गाड़ दिया है। जिसे उखाड़ पाना वाकई दिल्ली वालों के लिए आसान नहीं होगा । क्योंकि योगी की छवि यूपी ही नहीं पूरे देश में एक सख्त नेता के तौर पर बन गई है और लोग उन्हें पीएम मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखने लगे हैं। शायद यही असली वजह है कि योगी को साइड लाइन करने की कोशिशें की जा रही हैं।


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