Priyanka Gandhi ने Yogi के फैसले पर उठाया सवाल, अब SC के वकील ने दिया मुंहतोड़ जवाब
Yogi सरकार के फैसले का जितना विरोध मुजफ्फरनगर में नहीं हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा विरोध तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने करना शुरू कर दिया है। जिस पर बीजेपी के फायरब्रांड नेता शिवम त्यागी ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए पूछ लिया,चुनावों में लोगों की जातियां पूछने वाला इंडी अलायंस मुजफ्फरनगर में दुकानदारों के नाम पूछने पर क्यों हाय तौबा मचा रहा है।

योगी के एक आदेश पर देश में मच गया बवाल
दरअसल देश में जब लोकसभा चुनाव चल रहा था, उस वक्त मोदी को सत्ता से हटाने के लिए यही विपक्ष जातियों की खूब बातें कर रहा था। सपाई मुखिया अखिलेश यादव जहां पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानि पीडीए से वोट पाने के लिए उन्हें अपने पाले में करने में लगे हुए थे।तो वहीं दूसरी तरफ उनके साथी राहुल गांधी भी लोगों से उनकी जाति पूछ रहे थे कि कौन पिछड़ा हैऔर कौन दलित है।
चुनाव के दौरान तो कांग्रेस ने दलित पिछड़ों की खूब राजनीति,लेकिन जब योगी सरकार ने दुकानदारों को अपनी दुकान पर खुद का नाम लिखने का आदेश दे दिया तो यही विपक्ष मानो छाती पीटने लगा। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने तो इस पर ऐतराज जताते हुए कहा-
हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा, उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है, समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है, यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
जिस कांग्रेस ने चुनाव के दौरान ओबीसी दलित के मुद्दे पर खूब वोट मांगा,वही कांग्रेस अब योगी के फैसले पर उठाने लगी। विपक्ष के इस दोहरे रवैये पर बीजेपी नेता शिवम त्यागी ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा- देश के हर आदमी को पकड़ पकड़ कर उसकी जाति पूछ रहा था इंडी अलायंस,उत्तर प्रदेश पुलिस ने बस असली नाम पूछ दिया तो बौखला गये।
योगी के आदेश का विरोध करने के लिए प्रियंका गांधी को संविधान याद आ गया और कहने लगीं कि हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर दुकानदारों को अपनी दुकानों पर नाम लिखना संविधान विरोधी है तो फिर वकील, टीटी, पुलिस वाले अपनी वर्दी पर नेम प्लेट क्यों लगाते हैं।
योगी सरकार के आदेश के बाद देश में मचे बवाल के बीच आपको बता दें कुछ लोग सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गये हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल योगी सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। यानि दुकानदारों को अपना नाम लिखना फिलहाल जरूरी नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार, उत्तराखंड सरकार और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी जवाब भी मांगा है। फिलहाल इस मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। जहां तीनों राज्यों की सरकारें जवाब देंगी।