TUESDAY 29 APRIL 2025
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यूपी में शुरू हुई दलित वोट बैंक की सियासी जंग, मायावती ने कहा बीजेपी-कांग्रेस की तरह सपा भी दलित विरोधी

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी पर दलितों के साथ छलावा करने का आरोप लगाते हुए बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा सपा को उसके पिछले व्यवहार को लेकर कभी माफी नहीं मिल सकती है इतना ही नहीं मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस को भी निशाने पर लिया है.

यूपी में शुरू हुई दलित वोट बैंक की सियासी जंग, मायावती ने कहा बीजेपी-कांग्रेस की तरह सपा भी दलित विरोधी
उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही राजनीतिक दलों ने सियासी बिसात बिछनी शुरू कर दी है. यूपी की सत्ता पाने के लिए इन दलों की नजर दलित वोट बैंक पर है. जिसे साधने के लिए सियासी दलों के बीच घमासान मचा हुआ है. इस बीच यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी पर दलितों के साथ छलावा करने का आरोप लगाते हुए बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा सपा को उसके पिछले व्यवहार को लेकर कभी माफी नहीं मिल सकती है इतना ही नहीं मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस को भी निशाने पर लिया है.

दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अभी से सियासी दलों की नज़र दलित वोट बैंक पर है. प्रदेश की राजनीति में मुख्य विपक्ष की भूमिका निभले वाली समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव  PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के समीकरण को मजबूत करने में जुटे हुए है, वही दूसरी तरफ सत्ताधारी बीजेपी भी संविधान के निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल तक विशेष कार्यक्रम कर रही है. इन दलों के अलावा कांग्रेस भी लगातार दलितों की बात कर रही है, इसके साथ अगर बात नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर की करें तो वो भी खद को दलित वर्ग का अगुवाई करने वाला नेता बताते हुए अपने समाज की बात कर उन्हें साधने में जुटे है. सियासी दलों की इन गतिविधियों को देखते हुए बसपा प्रमुख ने आपने विरोधियों पर जमकर निशाना साधा है. इस बार उन्होंने दलित वर्ग को मुख्यधारा से दूर करने का कांग्रेस, बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी को भी ज़िम्मेदार ठहराया है.
बसपा चीफ मायावती ने रविवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक के बाद एक चार पोस्ट करते हुए अपने विरोधियों को निशाने पर लिया है. अपने पहले पोस्ट में उन्होंने लिखा " कांग्रेस, भाजपा आदि की तरह सपा भी बहुजनों में से ख़ासकर दलितों को इनका संवैधानिक हक देकर इनका वास्तविक हित, कल्याण व उत्थान करना तो दूर, इनकी गरीबी, जातिवादी शोषण व अन्याय-अत्याचार आदि खत्म करने के प्रति कोई सहानुभूति/इच्छाशक्ति नहीं, जिस कारण वे लोग मुख्यधारा से कोसों दूर रहने को मजबूर है."

सपा का PDA सिर्फ दिखावा 

मायावती ने अपने दूसरे पोस्ट पर अखिलेश के PDA समीकरण वाली राजनीति प्रयोग पर हमला बोला, उन्होंने आरोप लगाया कि सपा दलितों और मुस्लिमों का शोषण कर रही है एक्स पर उन्होंने लिखा "सपा द्वारा बीएसपी से विश्वासघात, उसके नेतृत्व पर 2 जून को जानलेवा हमला, प्रमोशन में आरक्षण का बिल संसद में फाड़ना, इनके संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बनाए गए नये जिले, पार्क, शिक्षण व मेडिकल कालेजों का नाम बदलना आदि ऐसे घोर जातिवादी कृत्य हैं जिसको माफ करना असंभव."

सपा करती है संकीर्ण राजनीति

मायावती ने अपने तीसरे पोस्ट में लिखा "जबकि बीएसपी अपने अनवरत प्रयासों से यहाँ जातिवादी व्यवस्था को खत्म करके समतामूलक समाज अर्थात् सर्वसमाज में भाईचारा बनाने के अपने मिशन में काफी हद तक सफल रही है, उसको सपा अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए बिगाड़ने में हर प्रकार से लगी हुई है। लोग जरूर सावधान रहें।"

दलितों के साथ छलावा कर रहे बड़े दल 

इसके साथ ही बसपा प्रमुख ने अपने चौथे और अंतिम पोस्ट में कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा "स्पष्ट है कि कांग्रेस व भाजपा आदि की तरह ही सपा भी अपनी नीयित व नीति में खोट/द्वेष के कारण कभी भी दलितों-बहुजनों की सच्ची हितैषी नहीं हो सकती है, किन्तु इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर लगातार छलावा करती रहेगी, जबकि बीएसपी ’बहुजन समाज’ को शासक वर्ग बनाने को समर्पित व संघर्षरत."
इससे पहले 17 अप्रैल को भी मायावती ने 'एक्स' पोस्ट पर लिखा था, "अन्य पार्टियों की तरह आए दिन सपा द्वारा भी पार्टी के ख़ासकर दलित लोगों को आगे करके तनाव व हिंसा का माहौल पैदा करने वाले आ रहे इनके अति विवादित बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप व कार्यक्रम आदि का जो दौर चल रहा है यह इनकी घोर संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ही प्रतीत होती है। सपा भी दलितों के वोटों के स्वार्थ की खातिर यहां किसी भी हद तक जा सकती है। अतः दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज आदि को भी इनके किसी भी उग्र बहकावे में नहीं आकर इन्हें इस पार्टी के भी राजनीतिक हथकण्डों का शिकार होने से जरूर बचना चाहिए"
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