SATURDAY 19 APRIL 2025
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Mehbooba Mufti नहीं लड़ेंगी चुनाव, बोली- सीएम बन भी गई तो एजेंडा पूरा नहीं कर पाऊंगी

महबूबा मुफ़्ती नहीं लड़ेंगी चुनाव, बोली- सीएम बन भी गई तो एजेंडा पूरा नहीं कर पाऊंगी, विस्तार से जानिए महबूबा ने ऐसा क्यों कहा ।

Mehbooba Mufti नहीं लड़ेंगी चुनाव, बोली- सीएम बन भी गई तो एजेंडा पूरा नहीं कर पाऊंगी
Jammu Kashmir Jammu Kashmir विधानसभा चुनाव में के लिए सभी पार्टियां कमर कस चुकी हैं, ऐसे में कड़ा मुकाबला होने के पूरे आसार हैं, एक तरफ़ कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन करके मैदान फ़तह करना चाहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ बीजेपी ने भी तैयारियां कर ली हैं।

2014 के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहा चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि 370 हटने के बाद कश्मीर में एक नई सुबह हुई है, ऐसे में अब इसका प्रतिनिधित्व कौन करेगा, इसी की लड़ाई हैं, आखिरी बार 2014 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे, तब BJP और PDP ने गठबंधन की सरकार बनाई थी, लेकिन 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी, 6 महीने तक राज्यपाल शासन रहा, इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया, फिर 370 का ख़ात्मा हुआ तो चुनाव की तैयारियों शुरु कर दी गई। 


ऐसे में अब सबकी नज़रें जम्मू कश्मीर की लोकल पार्टियों पर टिकी हुई है, जिसमें PDP को लेकर तमाम बातें हो रही है, इसी बीच पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने एक बड़ा ऐलान करके सबको चौंका दिया है, क्योंकि उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया है, दरअसल महबूबा मुफ़्ती से पूछा गया कि, क्या चुनाव लड़ने को लेकर उनका इरादा बदला है, क्योंकि धुर विरोधी उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक चुनाव में भाग नहीं लेने के अपने रुख से पलटी मार ली है तो इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा। "उमर ने खुद कहा कि चपरासी के तबादले के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर के दरवाजे पर जाना पड़ेगा, मुझे चपरासी के तबादले की चिंता नहीं है, लेकिन क्या हम अपना एजेंडा लागू कर सकते हैं? मैं भाजपा के साथ एक सरकार की मुख्यमंत्री रही हूं, जिसने 2016 में 12,000 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी वापस ले ली थी, क्या हम अब ऐसा कर सकते हैं? मैंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ सरकार की मुख्यमंत्री के रूप में अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने के लिए एक पत्र लिखा था, क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? मैंने जमीनी स्तर पर संघर्ष विराम लागू करवाया, क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? अगर आप मुख्यमंत्री के तौर पर प्राथमिकी वापस नहीं ले सकते, तो ऐसे पद का क्या मतलब है?

महबूबा मुफ़्ती ने अपने बयान के जरिए ये बताने की कोशिश की है कि, अगर वो चुनाव लड़कर जीत भी गई और मुख्यमंत्री भी बन गई तो अपने मन से फ़ैसले नहीं ले पाएंगी, इसीलिए चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं है, ऐसे में महबूबा मैदान में उतरने को तैयार नहीं हैं।

ग़ौरतलब है कि, जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों के लिए 18 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच 3 चरणों में मतदान होंगे, नतीजे 4 अक्टूबर 2024 को आएंगे, सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 46 है, तो देखना होगा कि जम्मू कश्मीर में क्या होता और किसकी सरकार बनती है, अभी जिस तरह से महबूबा मुफ़्ती ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है।













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