वक्फ संशोधन बिल के सपोर्ट में आए कई मुस्लिम संगठन ! बोले - वक्फ की संपत्ति पर माफियाओं का अधिकार है! विपक्ष को लगा झटका
वक्फ संशोधन बिल के पक्ष में आए कई मुस्लिम संगठनों ने वक्फ बोर्ड का विरोध करते हुए कहा है कि "इस बोर्ड ने कितने गरीब बच्चियों की शादियां करवा दी ? कितने बेघरों को घर दिए ? वक्फ बिल पास होने से सिर्फ वही मुसलमान डरे हुए हैं। जो खुद वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कब्जा जमाए बैठे हैं।

वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में बहस जारी है। करीब 8 घंटे से ज्यादा बहस के बाद इस पर वोटिंग शुरू होगी। पक्ष और विपक्ष दोनों को इस पर अपनी बात कहने का मौका मिलेगा। अधिकतर विपक्षी दल इसके विरोध में है। लेकिन देश के कई मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में आ गए हैं। इनमें कई बड़े संगठन शामिल है। इन संगठनों के लोगों ने वक्फ बिल की संपत्ति को माफिया का अधिकार बताकर इस पर विरोध जताया है।
क्या कुछ कहा मुस्लिम संगठनों ने ?
वक्फ संशोधन बिल के पक्ष में आए कई मुस्लिम संगठनों ने वक्फ बोर्ड का विरोध करते हुए कहा है कि "इस बोर्ड ने कितने गरीब बच्चियों की शादियां करवा दी ? कितने बेघरों को घर दिए ? वक्फ बिल पास होने से सिर्फ वही मुसलमान डरे हुए हैं। जो खुद वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कब्जा जमाए बैठे हैं।
किन-किन संगठनों ने वक्फ बिल पर जताया समर्थन
1 - जमीयत हिमायत उल इस्लाम ने इस संशोधन बिल का समर्थन करते हुए बिल का विरोध करने वालों से तीखे सवाल पूछे हैं। इस संगठन के सदर कारी अबरार जमाल ने कहा कि "वक्फ बिल पास होने से सिर्फ उन्हीं मुसलमानों को परेशानी हो रही है। जो खुद इसकी संपत्ति पर कब्जा जमाए बैठे हैं। इस संपत्ति ने गरीबों के लिए क्या कुछ किया है ? कितने गरीबों को घर दिए ? कितने गरीबों की शादी कराई ? वक्फ बोर्ड की दुकानों पर 20 और 50 रुपए देकर अमीर लोगों ने कब्जा जमाए रखा है। वक्फ की संपत्ति को कब्जा मुक्त करने के लिए कितने संगठनों ने आवाज उठाई। वक्फ बोर्ड के पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति है। लेकिन इसके बावजूद देश में भीख मांग रहा हर चौथा भिखारी मुस्लिम है। जब इस संपत्ति पर अल्लाह के अलावा किसी का अधिकार नहीं है। तो फिर यह माफियाओं की संपत्ति कैसे हो गई। इस बोर्ड ने आज तक अपनी आमदनी और खर्च को सार्वजनिक क्यों नहीं किया।"
2 - ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने भी इस बिल का समर्थन किया है। यह संगठन अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़ा है। जो सूफी परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है। सितंबर 2024 में JPC के समक्ष इस बिल का समर्थन किया है। संगठन का कहना है कि "यह बिल वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उसके प्रबंधन में सुधार करेगा।" ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष और अजमेर दरगाह से जुड़े हुए सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने इस बिल का मतलब समझाते हुए कहा कि "इसके पास होने से मस्जिद या आपकी संपत्तियां छीनी नहीं जाएंगी। जेपीसी में चर्चा करने के बाद काफी तसल्ली से यह बिल लाया गया है। मुझे पूरा यकीन है। इस बिल के पास होने के बाद वक्फ के काम में पारदर्शिता आएगी। इस पर असहमति होना अलग है। जो भी बिल लाया जा रहा है। वह वक्फ की समस्त धार्मिक संपत्ति के हित में हो। जो लोग गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन लोगों से आग्रह है कि गुमराह न करे। सब मिलकर अच्छा बिल पास करवाए। यह वक्फ की जरूरत है।"
3 - पसमांदा मुस्लिम समाज ने भी इस बिल का समर्थन करते हुए। इसे 85% मुसलमानों के हित में बताया। यह बिल बोर्ड में सुधार कर हाशिए पर पड़े मुस्लिमों को लाभ पहुंचाएगा। पसमांदा समाज के मुसलमानों ने कहा है कि "वक्फ की संपत्ति बताकर इस पर कब्जा करने वालों की नींव हिल गई है। इसलिए वह इसका विरोध कर रहे हैं। वक्फ संशोधन बिल पास होने से गरीब मुसलमानों के जीवन में सुधार आएगा।" ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ ने कहा कि "मुसलमानों का ठेका ओवैसी और मदनी जैसे लोगों को किसने दिया। मुस्लिम समुदाय इस संशोधन के साथ है। एक और नेता ने कहा कि "इस बोर्ड को गरीबों के कल्याण के लिए किया गया था। लेकिन इसका उल्टा हो रहा है।"
4 - मुस्लिम राष्ट्रीय मंच संगठन ने भी इस बिल का समर्थन किया है। MRM की दिल्ली में हुई बैठक में कहा गया है कि यह बिल वक्फ की संपत्तियों में पारदर्शिता लाएगी।
5 - मुस्लिम महिला बौद्धिक समूह ने भी इस बिल का समर्थन किया है। शालिनी अली के नेतृत्व मुस्लिम महिलाओं की प्रतिनिधिमंडल ने ने नवंबर 2024 में इस बिल को समर्थन दिया। उनका कहना है कि "इस बिल से बोर्ड में पारदर्शिता आएगी। यह अनाथ,गरीबों और विधवाओं जैसे कमजोर वर्गों के हित में काम करेगी।"
बरेली के मौलाना ने भी किया वक्फ बिल का समर्थन
बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन ने भी वक्फ बिल का समर्थन किया है। उन्होंने अपना समर्थन जताते हुए कहा कि "यह बिल फायदेमंद साबित होगा। क्योंकि अभी तक माफिया वक्फ बोर्ड के साथ मिलकर देश की कीमती जमीनों और दुकानों पर कब्जा कर लेते थे। इस बोर्ड से होने वाली आमदनी को मुसलमानों के हित में खर्च किया जाएगा। किसी भी दरगाह,मस्जिद या मदरसा में दखल नहीं होगा। किसी भी धार्मिक स्थल पर सरकार का कोई कब्जा नहीं है। यह सिर्फ आपको बहकाया जा रहा है। सभी मुस्लिम धार्मिक स्थल का नए रूप में विकास होगा।
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