PM मोदी से हुई जेडी वेंस की मुलाकात, द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा और टेक्नोलॉजी में सहयोग बढ़ाने पर हुई बात
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपने परिवार संग भारत पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका संबंधों की समीक्षा की और ऊर्जा, रक्षा, तकनीक समेत कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

भारत के द्वार पर जब कोई बड़ा वैश्विक नेता दस्तक देता है, तो सिर्फ कूटनीतिक तस्वीरें ही नहीं, बल्कि नए रिश्तों के आयाम भी जन्म लेते हैं. ऐसा ही एक ऐतिहासिक क्षण तब सामने आया जब अमेरिका के नवनियुक्त उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance) अपने परिवार संग भारत पहुंचे और सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की.
यह सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि दो बड़ी लोकतंत्रों के भविष्य को गहराई से जोड़ने वाली एक गर्मजोशी भरी बातचीत थी, जिसमें बीते कुछ वर्षों में मजबूत हुए भारत-अमेरिका रिश्तों की आगे की दिशा तय होती दिखी.
PM मोदी ने खुद किया स्वागत
सियासत की दुनिया में ऐसी तस्वीरें कम ही देखने को मिलती हैं, जब किसी देश का प्रधानमंत्री स्वयं अपने घर के दरवाज़े पर खड़ा होकर किसी विदेशी मेहमान की अगवानी करे. लेकिन पीएम मोदी ने परंपरा से हटकर आत्मीयता दिखाई और जेडी वेंस, उनकी पत्नी उषा वेंस, और उनके बच्चों का अपने निवास पर हार्दिक स्वागत किया. तस्वीरों में साफ देखा गया कि पीएम मोदी न केवल मेहमान बच्चों से गर्मजोशी से मिले, बल्कि उन्हें विशेष आत्मीयता से बातचीत करते भी देखा गया. यह मुलाकात इस बात का संकेत थी कि यह केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पारिवारिक जुड़ाव का एक उदाहरण भी है.
भारत-अमेरिका साझेदारी पर गहन चर्चा
इस मुलाकात में जहां एक तरफ आत्मीयता दिखी, वहीं दूसरी ओर गहन कूटनीतिक मुद्दों पर भी गंभीर बातचीत हुई. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी और उपराष्ट्रपति वेंस ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और बीते वर्षों में हुई प्रगति को सराहा.
इस चर्चा में मुख्य रूप से ऊर्जा, रक्षा और सामरिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को गहराने की बात हुई. भारत और अमेरिका के बीच हाल के वर्षों में जिस गति से रक्षा साझेदारी और रणनीतिक सहयोग मजबूत हुआ है, वह वैश्विक समीकरणों को भी प्रभावित कर रहा है. बातचीत में टैरिफ, व्यापार समझौते, और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति जैसे विषयों पर भी विचार साझा किए गए.
यह मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब दुनिया के कई हिस्सों में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं. ऐसे में भारत और अमेरिका का एक मंच पर आना न केवल दोनों देशों की मजबूती का संकेत है, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी एक सशक्त संदेश है. वैसे आपको बता दें कि इस मुलाकात को औपचारिकता से परे ले जाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस के सम्मान में रात्रिभोज (डिनर) का भी आयोजन किया. रात्रिभोज में भारतीय संस्कृति की झलक और परंपरागत व्यंजन परोसे गए. इस आयोजन में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री, और अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.
सिर्फ यही नहीं, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में भी उच्च स्तर के अधिकारी शामिल थे—जिनमें पेंटागन और स्टेट डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख थे. यह बताता है कि यह दौरा सिर्फ औपचारिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि रणनीतिक बातचीत और भविष्य की योजना का मंच भी था.
भारत के दिल से होते हुए, जयपुर और आगरा की ओर
दिल्ली की मुलाकातों के बाद उपराष्ट्रपति वेंस और उनका परिवार भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को करीब से देखने जयपुर और आगरा रवाना हुए. यह दौरा बताता है कि अमेरिका भारत को सिर्फ कूटनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपराओं के आदान-प्रदान के सहयोगी के रूप में भी देखता है. जयपुर की हवेलियों और किलों की भव्यता, और आगरा के ताजमहल की खूबसूरती अमेरिकी उपराष्ट्रपति के परिवार को भारतीय धरोहर से जोड़ने का एक अनमोल अनुभव देगी.
भारत-अमेरिका रिश्तों का नया दौर
भारत और अमेरिका के रिश्ते पिछले एक दशक में काफी तेज़ी से बदले हैं. अब ये संबंध केवल व्यापार और रणनीतिक क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि शिक्षा, तकनीक, स्वास्थ्य, और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों तक फैल गए हैं. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का यह दौरा, इस बढ़ती हुई साझेदारी को और मजबूत करने वाला कदम है. खासकर ऐसे समय में जब चीन की भूमिका को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ी है, भारत और अमेरिका का एक साथ खड़ा होना एशिया की स्थिरता और वैश्विक संतुलन के लिए बेहद अहम है.
जेडी वेंस का भारत दौरा केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि दो लोकतांत्रिक महाशक्तियों के बीच विश्वास, साझेदारी और समान दृष्टिकोण का उत्सव है. यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि भारत अब केवल एक उभरती हुई ताकत नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार राष्ट्र है.
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