गांधी मैदान में बैठना हमारा अधिकार, सरकार ने लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदल दिया : प्रशांत किशोर
बिहार में बीपीएससी परीक्षा को लेकर राजनितक माहौल पूरी तरह से गरमाया हुआ है। मुख्यमंत्री नितिश कुमार की सरकार को इस मुद्दे पर घेरते हुए एक तरफ़ आरजेडी लगातार हमलावर है तो वही इस मुद्दे को भुनाने में जन सुराज पार्टी के संस्थापक और पूर्व में चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते।

बिहार में बीपीएससी परीक्षा को लेकर राजनितक माहौल पूरी तरह से गरमाया हुआ है। मुख्यमंत्री नितिश कुमार की सरकार को इस मुद्दे पर घेरते हुए एक तरफ़ आरजेडी लगातार हमलावर है तो वही इस मुद्दे को भुनाने में जन सुराज पार्टी के संस्थापक और पूर्व में चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते। यही वजह है कि सभी विपक्षी पार्टियों से आगे निकलते हुए इस विषय पर प्रशांत किशोर लगातार प्रदर्शन कर रहे है। बताते चले इससे पहले बीपीएससी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने इनके ख़िलाफ़ छात्रों को उकसाने के मामले में मुक़दमा भी दर्ज किया था।
क्या गांधी मैदान से हट जाएंगे प्रशांत किशोर
बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर अपने करीब 150 कार्यकर्ताओं के साथ गांधी मैदान में धरने पर बैठे जनसुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर को पटना जिला प्रशासन ने नोटिस जारी कर गांधी मैदान खाली करने की बात कही है। गांधी मैदान खाली न करने की स्थिति में प्रशासन ने उन पर मुकदमा दर्ज करने की भी चेतावनी दी है। इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रशासन द्वारा जारी किए गए नोटिस पर जवाब दे दिया गया है।
हमें नायक नहीं बनाना : प्रशांत किशोर
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हमें जो नोटिस प्रशासन से प्राप्त किया था, उसका पहले ही जवाब दे दिया है। गांधी मैदान में सार्वजनिक स्थान पर बैठने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हम नायक बनने के लिए नहीं बैठे हैं, बल्कि हमें जो अधिकार है, उसी का उपयोग कर रहे हैं। बिहार के हर नागरिक को यहां बैठने का अधिकार है। हम तब तक यहां बैठेंगे, जब तक हमारी मुख्य मांगें पूरी नहीं होतीं। हमारी सबसे बड़ी मांग यह है कि बिहार के युवाओं के साथ पिछले दस सालों से जो अन्याय हो रहा है, उस पर सरकार को जागना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "नीतीश कुमार ने 10 साल पहले बिहार के गांव-गांव जाकर बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का वादा किया था, लेकिन आज तक किसी को एक रुपया भी नहीं मिला। पिछले चार-पांच सालों में हर परीक्षा में पेपर लीक होते रहे हैं, अनियमितताएं होती रही हैं। जब बच्चे आवाज उठाते हैं तो उन पर लाठीचार्ज किया जाता है। धरना-प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, न ही शिक्षा माफिया या किसी जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कोई कदम उठाया गया है। हमारी मांग है कि बताएं कि किस पेपर लीक में किस पर कार्रवाई हुई? किस दोषी अधिकारी को सजा मिली?"
लोकतंत्र को लाठीतंत्र : प्रशांत किशोर
उन्होंने कहा, "हमारी एक और महत्वपूर्ण मांग है कि बिहार में डोमिसाइल नीति लागू की जाए, ताकि बिहार के बच्चों को सरकारी नौकरी मिल सके। आज बिहार के आधे से ज्यादा सरकारी पदों पर बाहरी राज्यों के लोग आकर बैठ जाते हैं। तीसरी मांग यह है कि जो लोकतंत्र को लाठी तंत्र बना दिया गया है, उसका विरोध किया जाए। अगर कोई भी व्यक्ति धरना-प्रदर्शन करने आता है, तो प्रशासन उसे लाठी के दम पर क्यों हटा देता है? पिछले तीन सालों में नीतीश कुमार ने 87 से ज्यादा शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शनों पर लाठी चलवाई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, बच्चियों, छात्रों और शिक्षकों पर लाठीचार्ज करवाया गया। लोकतंत्र की बात की जाती है, लेकिन असल में लाठी तंत्र से काम चलाया जा रहा है।"
इससे पहले पटना सदर एसडीएम गौरव कुमार ने उन्हें चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा, "पटना हाई कोर्ट का आदेश है जिसमें एक रिस्ट्रिक्टेड एरिया की बात की गई है और जिलाधिकारी का भी आदेश है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह अनलॉफुल है। विधिक प्रक्रिया के अनुसार नोटिस सर्व कर दिया गया है। हम लोग स्थिति को समझकर ही आगे का निर्णय लेंगे। किसी भी धरना-प्रदर्शन को निर्धारित स्थल पर अनुमति लेकर ही किया जा सकता है। हमें अब तक किसी भी प्रकार की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए हम लोगों ने केवल अनुरोध किया है और नोटिस भी जारी किया गया है। नोटिस में यह भी बताया गया है कि आप प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थान पर जा सकते हैं। यदि यहां कोई विरोध प्रदर्शन होता है, तो प्रशासन को अपना काम करना होगा।"
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