हिंदी से नफरत लेकिन अरबी से प्यार, आए थे तमिल भाषा की लड़ाई लड़ने अरबी में दुआ पढ़ने लगे विजय थालापति
विजय थालापति तमिल को बढ़ावा देने की लड़ाई लड़ते हुए भले ही ये कहते हैं कि, उनकी पार्टी सभी भाषाओं का सम्मान करती है, लेकिन साथ में वो ये भी बोल जाते हैं कि हिंदी जैसी या कोई और भाषा तमिलनाडु पर थोपी नहीं जा सकती, लेकिन जब बात अरबी कल्चर की आती है तो विजय थालापति बड़े आराम से उसे फ़ॉलो करते हुए दिख जाते हैं ।

बिल्कुल सही बात कह रहे हैं विजय थालापति, "किसी अन्य भाषा के लिए अपना आत्मसम्मान नहीं छोड़ेंगे"… लेकिन, लेकिन क्या रमज़ान में इफ्तारी में अरबी कल्चर फ़ॉलो करके विजय थालापति ने आत्मसम्मान नहीं छोड़ा? ऐसा लोग पूछ रहे हैं और तमिलनाडु की राजनीति भी इसपर गरमाई हुई है।
तमिलनाडु के बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई ने भाषा विवाद पर विजय थालापति को जवाब देते हुए कहा,"कोई भी कोई भाषा नहीं थोप रहा है, आप जो उपदेश देते हैं उसका अभ्यास करें, झूठ मत बोलें…"
अन्नामलाई ने विजय थालापति को समझाया तो सोशल मीडिया पर भी लोगों ने थालापति के इफ़्तार पार्टी और अरबी में दुआ करने पर प्रतिक्रिया दी, जैसे एक यूज़र ने लिखा, "अरबी से प्यार, हिंदी से नफ़रत," एक दूसरे यूज़र ने लिखा, "जब इंसान राजनीति में आता है न तो इंसान अपना जात-पात सब भूल जाता है जैसे आज विजय थालपति भूले हैं। एक मात्र मुस्लिम वोट बैंक के लिए मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने लगे, आने वाले टाइम में कहीं धर्म परिवर्तन न कर ले, शेम ऑन यू थालापति।"
एक यूज़र ने तो विजय के हिंदी नफ़रत पर कहा, "इन्हें हिंदी भाषा से नफ़रत है, लेकिन अरबी कल्चर से नहीं, क्योंकि वोट बैंक का मामला है।"
एक और यूज़र ने कहा, "टोपी ओढ़कर अरबी की आयतें सुनकर अपनी राजनीति चमकाने की फिराक में बैठा ये नेता तमिलनाडु का एक्टर विजय है। हां, हिंदी के खिलाफ कुछ करना हो तो क्रांति कर दी जाएगी, रोल्स रॉयस से चलने वाला ये आदमी कुछ हफ़्ते पहले दिखावे के लिए स्विफ्ट गाड़ी से पार्टी दफ्तर पहुंचे, बस इतनी ही सच्चाई इनकी राजनीति में भी है।"
बता दें कि इफ्तार का आयोजन विजय थालापति की पार्टी द्वारा चेन्नई में किया गया था। इफ्तार पार्टी में तमाम इमाम, मौलाना और धर्मगुरु पहुंचे। इस दौरान विजय थालापति उन लोगों के साथ अरबी में दुआ पढ़ते हुए दिखे, जिसके बाद लोगों ने उनसे पूछ लिया, "अगर हिंदी से नफ़रत है और तमिल से इतना प्यार है तो फिर अरबी कल्चर क्यों फ़ॉलो कर रहे हैं?"
खैर, इन सब बातों के बीच विजय थालापति की इस राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने भी अपनी राय रखी है।