WEDNESDAY 16 APRIL 2025
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CM Himanta ने रचा ऐसा इतिहास कि विरोधी विधायक भी करने लगे तारीफ !

Assam की हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला ले लिया है जिसकी तारीफ विपक्षी पार्टी के मुस्लिम विधायक भी करने लगे हैं !

CM Himanta ने रचा ऐसा इतिहास कि विरोधी विधायक भी करने लगे तारीफ !
जिस असम में कभी बोडोलैंड नाम से अलग राज्य बनाने की मांग उठा करती थी। जिस असम में अलग बोडोलैंड राज्य बनाने के लिए हजारों को लोगों की जान चली गई। उस बोडोलैंड के लोगों को पहले मोदी सरकार ने असम के साथ रहने के लिए राजी किया।और अब उसी असम की हिमंता सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला ले लिया है।जिसकी तारीफ विपक्षी पार्टी के मुस्लिम विधायक भी करने लगे हैं।

दरअसल असम के कोकराझार में बोडो समुदाय के लोगों की एक बड़ी आबादी है। जो हिंदुस्तान के आजाद होने से पहले ही अपने लिए एक अलग राज्य की मांग किया करते थे।और इस अलग राज्य के लिए हजारों बोडो आदिवासियों की जान तक चली गई।लेकिन साल 2020 का वो ऐतिहासिक दिन भला कौन भूल सकता है जब मोदी सरकार ने बोडो शांति समझौता कराया।और अब हालात ऐसे हैं कि बोडो समुदाय के जो लोग अपने लिए अलग राज्य मांगा करते थे।वही लोग आज असम सरकार के साथ हैं। तो वहीं अब असम की बीजेपी सरकार ने भी बोडो जनजातियों का विश्वास जीतने के लिए एक और ऐतिहासिक फैसला लिया।जब ये ऐलान किया गया कि पहली बार बोडोलैंड में असम विधानसभा का सत्र आयोजित किया जाएगा। क्योंकि असम के इतिहास में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब विधानसभा का सत्र राजधानी गुवाहाटी से बाहर आयोजित किया गया हो।लेकिन इस बार सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बजट सत्र का आगाज ही कोकराझार में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद यानि BTC विधानसभा में आयोजित कराने का फैसला लिया।और सरकार के इस फैसले के साथ विपक्ष भी खड़ा नजर आया।जब AIUDF के विधायक करीमुद्दीन बरभुइया ने भी हिमंता सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक अच्छी पहल है, यह भारत में पहली बार हो रहा है, जहां हम स्टेशन से बाहर जाकर बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल क्षेत्र में जा रहे हैं।

सत्ता पक्ष हो या विपक्ष। दोनों ने बोडोलैंड में विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिए सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की तारीफ की।क्योंकि दोनों ही ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि कई संघर्ष देख चुकी कोकराझार की धरती पर अब विकास के साथ साथ बोडो जनजातियों का विश्वास भी जीतना बहुत जरूरी है। इसीलिये सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताया जा रहा है।

कौन हैं बोडो लोग ?

बोडो एक जातीय समुह है जिसे असम का सबसे प्रारंभिक निवासी माना जाता है, सभ्यता के शीर्षकाल में बोडो लोगों ने उत्तर-पूर्व भारत, नेपाल के कुछ हिस्सों, भूटान, उत्तरी बंगाल और बांग्लादेश के करीब पूरे हिस्से पर शासन किया था, इन्हें भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में एक मैदानी जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है।

बोडो जनजाति के लोग 1929 से ही अलग राज्य की मांग करते आ रहे थे, उनकी मांग थी कि असम के 8 जिलों कोकराझार, धुबरी, बोंगाईगांव, बारपेटा, नलबाड़ी, कामरूप, दरंग और सोनितपुर जिले के कुछ क्षेत्र को लेकर एक अलग बोडोलैंड राज्य बनाया जाए। दशकों पुरानी इस मांग को लेकर कई बार हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी। दशकों तक सत्ता में रही कांग्रेस भी इस संघर्ष को नहीं रोक पाई। ये काम भी किसी सरकार ने किया तो वो है मोदी सरकार। जिसने साल 2020 में केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो समूहों के बीच शांति और विकास के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया।और बोडोलैंड को अब आधिकारिक तौर पर जिसके बाद से ही बोडो लैंड में शांति है.।इसीलिये सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कोकराझार में विधानसभा सत्र आयोजित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया।जिसकी तारीफ विपक्ष भी कर रहा है।
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