8 दिन तक लगातार गरजा बुल्डोजर, कृष्णनगरी को ऐसे मिली अतिक्रमण से मुक्ति ?
गुजरात के बेट द्वारका अतिक्रमण मुक्त हो गया. यहां 8 दिन तक बुल्डोजर लगातार गरजा और करीब 300 अवैध इमारतें जमींदोज कर दी गईं.

हर्ष सांघवी ने तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा,"देवभूमि द्वारका के द्वीपों को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया, द्वारका जिले के 7 आईसलैंड अब 100 फीसदी अतिक्रमण मुक्त हैं, अवैध ढांचों को सफलतापूर्वक हटा दिया गया है, संस्कृति और विरासत की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के लिए प्रशासन और उनकी टीम को बधाई।"
जिस बेट द्वारका में बुल्डोजर चला है, उसकी पहले की तस्वीरें देखिए और नई तस्वीरें देखिए। इलाके की पूरी तस्वीर ही बदल गई। श्री कृष्ण की ये पावन नगरी अवैध अतिक्रमण से बिल्कुल साफ और समतल हो चुकी है। बेट द्वारका में जहां पहले मंदिर की घंटियां सुनाई देती थीं, अब वहां मजहब के नाम पर अवैध तरीके से कई मस्जिदें बना दी गई थीं। अब एक बार फिर बेट द्वारका की संस्कृति को संरक्षित करने की कवायद शुरू हो गई।
8 दिन तक लगातार गरजा बुल्डोजर
बेट द्वारका में बुल्डोजर का एक्शन 11 जनवरी से शुरू हुआ था। लगातार 8 दिन तक कार्रवाई चलती रही। करीब एक लाख स्क्वायर मीटर से ज्यादा की जमीन खाली करवाई गई। इससे पहले प्रशासन ने इलाके के लोगों को नोटिस भेज मकान छोड़ने के निर्देश जारी कर दिए थे।
लोगों ने जताया विरोध
अवैध निर्माण गिराने को लेकर एक तरफ सरकार का दावा है कि यहां धर्म के नाम पर, धार्मिक स्थलों के नाम पर अवैध कब्जा लगातार बढ़ता जा रहा था, इसलिए करीब 300 घरों पर बुल्डोजर चला। यहां ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के मछुआरे रहते हैं, 300 में से करीब 20 घर ही हिंदुओं के हैं। इसके साथ ही दुकानों और दरगाह को भी हटा दिया गया। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि वे यहां कई सालों से रह रहे थे, अवैध कैसे हो सकते हैं? यहां तक कि उन्हें बिजली-पानी का कनेक्शन भी दिया गया था। अचानक वे अवैध कैसे हो गए?
द्वारका तीर्थ क्षेत्र के विकास में जुटी सरकार
अवैध अतिक्रमण हटाने के बाद अब आगे क्या? दरअसल, सरकार का प्लान है कि बेट द्वारका में कॉरिडोर बनाया जाए। इस योजना की मैपिंग का काम चल रहा है। कॉरिडोर का हिस्सा बेट द्वारका के इस एरिया से भी गुजरेगा, जहां से अवैध निर्माण हटाए गए हैं।
बेट द्वारका में मिले थे श्री कृष्ण-सुदामा!
बेट द्वारका को भेंट द्वारका भी कहा जाता है, इसके पीछे श्री कृष्ण और उनके सखा सुदामा की कहानी छिपी है। हिंदू पुराणों के मुताबिक, सुदामा भगवान श्री कृष्ण से मिलने द्वारका आए थे। तब बेट द्वारका में ही दोनों की मुलाकात हुई थी। इसलिए लोग इसे भेंट द्वारका कहते हैं। स्कंदपुराण में भी बेट द्वारका का जिक्र किया गया है। यहां के मंदिरों में कृष्ण के साथ-साथ सुदामा की भी पूजा होती है। बहरहाल, अब एक बार फिर कोशिश हुई है बेट द्वारका की उसी संस्कृति को जीवंत करने की। कोशिश है यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की, कोशिश है बेट द्वारका की वास्तविक सूरत लौटाने की।