हरियाणा चुनाव से पहले बड़े खेल की तैयारी जेल से बाहर आ रहा बाबा राम रहीम !
हत्या और रेप केस में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरूमीत राम रहीम ने कोर्ट से 20 दिन की पैरोल मांगी है। हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने है। ऐसे में राम रहीम की कोर्ट से इस दरखवास्त सियासी नज़रिए से देखा जा रहा है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीति दलों के लिए सियासी रूप से बहुत बड़ी ख़बर सामने आ रही है। हत्या और रेप केस में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरूमीत राम रहीम ने कोर्ट से 20 दिन की पैरोल मांगी है। हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने है। ऐसे में राम रहीम की कोर्ट से इस दरखवास्त सियासी नज़रिए से देखा जा रहा है। यही वजह है कि इसको लेकर चुनाव आयोग ने हरियाणा सरकार से जवाब भी माँगा है। इससे पहले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भी राम राम पैरोल पर जेल की सलाखों से बाहर आया था।
दरअसल, राम रहीम ने कोर्ट से ऐसे समय पर पैरोल मांगी जब चुनाव के मतदान के लिए महज़ कुछ ही दिन बचे है। हालाँकि कोर्ट को पैरोल के अनुरोध करते हुए राम रहीम ने आकस्मिक और आवश्यक कारण बताया है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण पैरोल के लिए जो आवेदन दिया है उसको निर्वाचन विभाग को भेज दिया गया है। अपने आवेदन में राम रहीम ने इस बात की जानकारी दी है की अगर उसे पैरोल मिलती है तो इस दौरान वो उत्तर प्रदेश के बागपत में रहेगा। उसका हरियाणा विधानसभा चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
विधानसभा चुनाव से पहले इस आवेदन पर सियासी नज़र
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के बड़ी संख्या में अनुयायी है जो उसकी हर बात को मानते है। इनकी संख्या यूपी बोर्डर, हरियाणा और पंजाब के इलाक़ों मने सबसे ज़्यादा है। पहले भी कई बार देखा गया है कि राज्य के चुनावों में बड़े- बड़े नेता इनकेपस पहुँचते थे ताकि इसको मानने वाले लोगों का साथ उनकी पार्टी को मिल सके। यही वजह है कि राम रहीम की इस अर्ज़ी को सियासी तौर पर देखा जा रहे है।बताते चले कि पंजाब विधानसभा चुनाव से लगभग दो हफ्ते पहले सात फरवरी, 2022 से तीन हफ्ते की पैरोल दी गई थी। वही अब फिर से चुनाव से ठीक पहले राम रहीम की पैरोलकी अर्ज़ी पर निर्वाचन आयोग से राज्य सरकर की सवाल पूछा है कि वह उन अनिवार्य परिस्थितियों के बारे में बताए जिसके चलते राम रहीम को 20 दिनों के लिए पैरोल देना ज़रूरी है।
निर्वाचन आयोग ने क्यों पूछे राज्य सरकार से सवाल
दरअसल गुरमीत राम रहीम हाल ही में 21 दिनों की पैरोल पूरी होने के बाद 2 सितंबर को वापिस रोहतक की सुनारिया जेल में पहुंचे थे और डेरा प्रमुख पर पहले ही भाजपा का समर्थन करने का आरोप है। क्योंकि अगस्त 2017 के बाद बलात्कार के मामलों में उनकी पहली सजा के बाद से पिछले सात वर्षों में, उन्हें राज्य सरकार की मदद के चलते अब तक 250 दिनों तक की अस्थायी रिहाई मिल चुकी है। ऐसे में जब राम रहीम ख़ुद इस बात का दावा करते है कि उनके समर्थकों की संख्या काफ़ी बड़ी है जिसका कई क्षेत्रों में अच्छी पकड़ है तो इन बातों को देखकर कई सवाल भी खड़े हो रहे है कि आख़िर चुनाव से पहले ही बार-बार उन्हें पैरोल की ज़रूरत क्यों पड़ती है।
ग़ौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त, 2017 को पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने महिला शिष्यों से बलात्कार के आरोप में धोशि ठहराते हुए उन्हें 20 साल की सज़ा सुनाई थी, मौजूदा समय में राम रहीम बलात्कार और एक पत्रकार की हत्या के मामले में सजा काट रहा है।
वही रेप के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकूला, हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों में हिंसा हुई थी। जिसके बाद अगस्त 2017 में लगभग 40 लोगों की जान चली गई थी।
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