जिस Hindi से Modi को है प्यार उस Hindi पर Ashwin ने बोली ऐसी बात, भड़क गये Annamalai !
जिस हिंदी भाषा से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है प्यार और खुल कर करते हैं स्वीकार उस हिंदी भाषा पर आर अश्विन ने बोली ऐसी बात कि भड़के अन्नामलाई ने दिया करारा जवाब !

देश के प्रधानमंत्री गुजरात से आते हैं। जहां गुजराती बोली जाती है। लेकिन इसके बावजूद हिंदी बोलने में कोई शर्म नहीं महसूस करते हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं।जहां भोजपुरी बोली जाती है।लेकिन इसके बावजूद हिंदी बोलने में कोई शर्म नहीं महसूस करते हैं। लेकिन बात जब तमिलनाडु की आती है।तो ऐसा लगता है तमिलनाडु कोई अलग ही देश है।क्योंकि यहां तमिल भाषा जितने प्यार से बोली जाती है।हिंदी भाषा से उससे कहीं ज्यादा नफरत की जाती है।और ये बात एक बार फिर साबित हो गई। जब देश के दिग्गज क्रिकेटर रहे आर अश्विन ने भी कह दिया।हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है।
कभी क्रिकेट के मैदान में विरोधियों के विकेट गिराने वाले टीम इंडिया के पूर्व गेंदबाज आर अश्विन एक बार फिर चर्चा में छाए हुए हैं।लेकिन इस बार क्रिकेट की वजह से नहीं। हिंदी पर दिये एक बयान की वजह से। जिसके बाद तो जैसे सियासी भूचाल मचा हुआ है।क्योंकि क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद आर अश्विन जब एक कॉलेज के इवेंट में हिस्सा लेने पहुंचे। तो इसी दौरान उन्होंने छात्रों से कहा "अगर कोई छात्र अंग्रेजी या तमिल भाषा में सवाल पूछने में असहज हो तो वह हिन्दी में भी सवाल कर सकता है"
अश्विन ने जब अंग्रेजी का जिक्र किया तो सब शांत रहे। वहीं तमिल सुनते ही छात्र खुशी से झूम उठे। और जैसे ही हिन्दी का नाम आया तो माहौल एकदम शांत पड़ गया।
तभी अश्विन ने कहा।" मुझे यह कह ही देना चाहिए कि हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है, सिर्फ एक आधिकारिक भाषा है"
वैसे तो तमिलनाडु में हिंदी को लेकर बवाल कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार आर अश्विन ने हिंदी पर बयान दिया। वो भी ऐसे वक्त। जब कुछ ही दिनों पहले पीएम मोदी ने हिंदी भाषा पर बयान देते हुए कहा था कि।"गुजरात के मेहसाणा में एक रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते समय मैंने यह भाषा सीखी, उत्तर प्रदेश के कई डेयरी किसान व्यापार के लिए अक्सर इस क्षेत्र का दौरा करते हैं, उनमें से लगभग 30-40 लोग हमेशा रेलवे प्लेटफॉर्म पर मौजूद रहते थे, जहां मैं चाय बेचता था, उनसे बात करते हुए, मैंने धीरे-धीरे हिंदी सीख ली"
एक गुजराती होने के बावजूद पीएम मोदी ने हिंदी सीखी। और हिंदी में ही गर्व के साथ संवाद भी करते हैं।तो वहीं जब भी गुजरात जाते हैं तो गुजराती भाषा में भी बात करते हैं। यानि जहां जिस भाषा के इस्तेमाल करने की जरूरत होती है वो करते हैं। किसी भाषा से नफरत नहीं करते। लेकिन बात जब दक्षिण राज्य तमिलनाडु की आती है तो यहां तो जैसे हिंदी भाषा नाम सुनकर ही लोग इससे नफरत करने लगते हैं।यही वजह है कि तमिलनाडु से आने वाले आर अश्विन को भी कहना पड़ गया। मुझे यह कह ही देना चाहिए कि हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है, सिर्फ एक आधिकारिक भाषा है।जिसके बाद तो जैसे सियासी बवाल मच गया। तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके के नेता टीकेएस एलंगोवन ने अश्विन का समर्थन करते हुए कहा कि "भारतवर्ष में जब अलग-अलग राज्यों में अनेक तरह की भाषाएं बोली जाती हैं, तो हिन्दी राजभाषा कैसे हो सकती है"
तो वहीं बीजेपी नेता उमा आनंदन ने बयान जारी करते हुए कहा कि " डीएमके का इस बात की सराहना करना चौंकाने वाली बात नहीं है, मैं अश्विन से पूछना चाहती हूं कि वो तमिलनाडु के क्रिकेटर हैं या भारत के क्रिकेटर"
जबकि तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने आर अश्विन के बयान पर कहा कि "अश्विन सही बोल रहे हैं कि हिन्दी राष्ट्र भाषा नहीं है, लेकिन उन्हें यह भी कहना चाहिए कि यह संपर्क के लिए भाषा थी और अब सुविधा के लिए इस्तेमाल में ली जाती है"
हैरानी की बात ये है कि हिंदुस्तान को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए 75 साल गुजर गये।लेकिन आज भी तमिलनाडु के लोगों को हिंदी भाषा से नफरत है। और अंग्रेजी भाषा से प्यार।उन्हें तमिल के अलावा अंग्रेजी बोलना तो स्वीकार है।लेकिन हिंदी भाषा नहीं। ये विवाद जबसे ज्यादा तमिलनाडु में ही देखा जाता है। और इस विवाद को सबसे ज्यादा हवा डीएमके ही देती रही है। शायद यही वजह है कि आज तक डीएमके राष्ट्रीय स्तर की पार्टी नहीं बन पाई।तमिलनाडु तक ही सीमित रह गई। क्योंकि राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनने के लिए नेताओं का हिंदी बोलना ज्यादा जरूरी है। और डीएमके के लोग हिंदी भाषा से ही नफरत करते हैं। और ये आज से नहीं है।1930-40 के दशक में जब तमिलनाडु के स्कूलों में हिन्दी भाषा को अनिवार्य करने की बात छिड़ी थी तो उस वक्त भी इसका खूब विरोध किया गया था। तो वहीं आंकड़ों की बात करें तो इंटरनेट पर मौजूद डाटा के मुताबिक तमिलनाडु में 1 प्रतिशत से भी कम लोग हिन्दी बोलते हैं, जबकि तमिल भाषी लोगों का प्रतिशत करीब 88% है।
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