गंगा जल में फीकल बैक्टीरिया! योगी सरकार और CPCB की रिपोर्ट में बड़ा टकराव, जानिए पूरी सच्चाई
महाकुंभ 2025 में अब तक 58 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। लेकिन क्या गंगा जल वाकई स्नान के लिए सुरक्षित है? केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संगम के जल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा अधिक है, जिससे यह जल दूषित हो सकता है। वहीं, योगी सरकार इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कह रही है कि गंगा जल पूरी तरह स्नान योग्य और शुद्ध है।

महाकुंभ 2025 में अब तक 58 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। लेकिन क्या संगम का जल वाकई स्नान के लिए शुद्ध है? यह सवाल महाकुंभ की शुरुआत से ही चर्चा में बना हुआ है। हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें गंगा जल में फीकल कोलीफॉर्म (fecal coliform) बैक्टीरिया की अधिकता बताई गई।
हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए दावा कर रही है कि संगम का पानी "क्षारीय जल" जितना ही शुद्ध है। इस विवाद के बाद संगम के जल की गुणवत्ता और उसके प्रभावों को लेकर विशेषज्ञों की राय भी बंटी हुई नजर आ रही है।
क्या कहती है विशेषज्ञों की राय?
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एनवायरमेंटल साइंस के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह का कहना है कि, "CPCB की रिपोर्ट में गंगा जल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की अधिकता बताई गई है, लेकिन यह रिपोर्ट अधूरी है। इसमें नाइट्रेट्स और फॉस्फेट्स का स्तर शामिल नहीं किया गया, जबकि घुले हुए ऑक्सीजन (DO) का स्तर अच्छा दिखाया गया है। ऐसे में अभी यह कहना मुश्किल है कि संगम का जल पूरी तरह अशुद्ध है। मेरे अनुसार, उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर गंगा जल स्नान योग्य है।"
क्या होता है फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया?
फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया एक प्रकार का सूक्ष्मजीव होता है, जो गर्म रक्त वाले जीवों (मनुष्यों और जानवरों) की आंतों और मल में पाया जाता है। अगर यह बैक्टीरिया पानी में अधिक मात्रा में मौजूद हो, तो यह दस्त, पेट दर्द और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए, अगर गंगा जल में यह बैक्टीरिया अधिक मात्रा में मौजूद है, तो इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा जल में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर अलग-अलग दिनों में अलग रहा है।
13 जनवरी - 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर
14 जनवरी (मकर संक्रांति) - 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर
15 जनवरी - 1 मिलीग्राम प्रति लीटर
29 जनवरी (मौनी अमावस्या) - 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर
BOD क्या है?
बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का मतलब पानी में मौजूद जैविक कचरे को तोड़ने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा से है। अगर BOD अधिक है, तो इसका मतलब यह है कि पानी में जैविक कचरे की मात्रा ज्यादा है, जिससे पानी में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है और जलीय जीवों के लिए खतरा बढ़ सकता है।
योगी सरकार का दावा: गंगा जल पूरी तरह शुद्ध
उत्तर प्रदेश सरकार ने CPCB की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि गंगा जल पूरी तरह से स्नान योग्य है। सरकार के मुताबिक, पद्मश्री डॉ. अजय कुमार सोनकर द्वारा पांच प्रमुख स्नान घाटों से लिए गए जल के नमूने माइक्रोस्कोपिक जांच से गुजरे, जिनमें कोई भी हानिकारक बैक्टीरिया नहीं पाया गया। सरकार के बयान के अनुसार, "अगर गंगा जल वाकई प्रदूषित होता, तो अब तक दुनिया भर में इस पर हंगामा मच जाता। अस्पताल मरीजों से भर जाते। लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला, जिससे यह साफ होता है कि गंगा जल पूरी तरह सुरक्षित है।"
CPCB की रिपोर्ट और योगी सरकार के दावों के बीच यह सवाल उठता है कि गंगा जल को लेकर जारी यह बहस वैज्ञानिक आधार पर है या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद छिपा है? CPCB की रिपोर्ट को लेकर सवाल इसलिए भी उठते हैं क्योंकि इसमें जल में मौजूद अन्य महत्वपूर्ण कारकों जैसे नाइट्रेट्स और फॉस्फेट्स का जिक्र नहीं है। रिपोर्ट में संगम क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में जल की गुणवत्ता का तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया गया है।महाकुंभ के दौरान बढ़ती भीड़ के बावजूद अस्पतालों में जलजनित रोगों के मामलों में कोई अप्रत्याशित वृद्धि नहीं हुई।
अगर सरकारी दावों पर भरोसा करें, तो गंगा जल पूरी तरह से स्नान योग्य और सुरक्षित है। वहीं, अगर CPCB की रिपोर्ट को देखा जाए, तो जल में फीकल बैक्टीरिया की उपस्थिति चिंता का विषय हो सकती है। हालांकि, गंगा जल में स्वाभाविक शुद्धिकरण क्षमता (Self-Purification Power) होने के कारण यह बैक्टीरिया लंबे समय तक नहीं टिकता।
वैसे आपको बता दें कि महाकुंभ में अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई बड़े नेता संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इसके अलावा बॉलीवुड के कई सितारे जैसे हेमा मालिनी, अनुपम खेर, शंकर महादेवन, रेमो डिसूजा, सुनील ग्रोवर और ममता कुलकर्णी भी इस पावन अवसर पर स्नान कर चुके हैं।
महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने वालों के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है कि अब तक किसी बड़े जलजनित रोग की सूचना नहीं आई है। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गंगा जल की गुणवत्ता की निगरानी और उसके सुधार के प्रयास लगातार जारी रहने चाहिए।
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