श्रीलंका में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बने जयशंकर, ऐसे दिखाया कमाल
जयशंकर की डिप्लोमेसी की ताकत दुनिया ने फिर देख ली..जयशंकर ने अपनी डिप्लोमेसी की ताक़त से पलभर में 41 भारतीयों की किस्मत बदल दी है…दरअसल, महीनों से श्रीलंका की क़ैद में रह रहे 41 भारतीय मछुआरे वतन वापसी कर चुके हैं
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मोदी के चहेते। भारत के लिए सबसे अहम। दुनिया में अपने भौकाल से हलचल पैदा करने वाले। डिप्लोमेसी किंग विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर। जिनका नाम ही अब काफी है। वो जहां जाते हैं उनके स्टाइल से। चाल ढाल से उनके विरोधी भी उनके क़ायल हो जाते हैं। भारत के लिए अपनी कूटनीतिक ताक़त का लोहा मनवाने वो माहिर हैं।चीन हो या पाकिस्तान। अमेरिका हो या कनाडा। सबको साधने में वो माहिर हैं। उनकी चर्चा भी दूर दूर तक है। तभी तो इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति जब उनसे मिलते हैं तो उन्हें यहीं कहते हैं कि मैं आपको जानता हूं। अमेरिका में भी ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में जयशंकर का अलग रूतबा देखने को मिला जहां बड़ी बड़ी शख़्सियत पीछे की लाइनों में बैठे थे। वहीं नए भारत की नई पहचान को बताते हुए जयशंकर ट्रंप के भाषण वाले पोडियम के बिल्कुल सामने ही बैठे थे।
नए भारत की नई तस्वीर साफ़ नज़र आ रही थी। साथ ही क्वाड की बैठक में हिस्सा लेकर चीन को भी क़ाबू में रखने पर बात हो गई वहीं अभी जयशंकर वापस भारत लौटे भी नहीं थे कि श्रीलंका से एक ऐसी ख़बर सामने आई। जिससे जयशंकर की डिप्लोमेसी की ताकत दुनिया ने फिर देख ली। जयशंकर ने अपनी डिप्लोमेसी की ताक़त से पल भर में 41 भारतीयों की किस्मत बदल दी है।दरअसल, महीनों से श्रीलंका की क़ैद में रह रहे 41 भारतीय मछुआरे वतन वापसी कर चुके हैं। भारत सरकार से उन मछुआरों के परिवारों ने गुहार लगाई थी। बस फिर क्या था। एस जयशंकर अपने मिशन में लग गए और इन भारतीयों को श्रीलंका की क़ैद से वापस ले आए। ये सभी 41 मछुआरे श्रीलंका की कैद से छूटकर चेन्नई एयरपोर्ट पहुंचे। रिपोर्टस् के मुताबिक़ श्रीलंका की नौसेना ने इन मछुआरों को पिछले साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
वहीं तमिलनाडु तटीय पुलिस अधिकारियों के मुताबिक,
41 मछुआरों में से 35 रामनाथपुरम के निवासी हैं, जबकि अन्य नागपट्टिनम और पुडुकोट्टई जिले के रहने वाले हैं। स्वदेश लौटने पर मछुआरों को नागरिकता सत्यापन, सीमा शुल्क जांच और अन्य औपचारिकताओं से गुजरना पड़ा. तमिलनाडु मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने मछुआरों का स्वागत किया। इसके बाद अलग-अलग वाहनों में उनके गृहनगरों तक परिवहन की व्यवस्था की गई। इससे पहले श्रीलंका ने तमिलनाडु के 15 मछुआरों के एक समूह को रिहा किया था, जो 16 जनवरी को चेन्नई पहुंचे थे।
अब भारतीय मछुआरों की बार-बार गिरफ्तारी का एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इसे निपटने के लिए। मोदी सरकार को तमिलनाडु के मछुआरा संघों ने एक पत्र भी लिखा था।जिसके बाद पिछले महीने यानी दिसंबर में भारत दौरे पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के साथ चर्चा में मछुआरे की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया था। जिसका बाद ये हो सका है और मछुआरों को छोड़ा गया है। लेकिन ख़बरों के मुताबिक़ 504 भारतीय मछुआरे अब भी श्रीलंका की क़ैद में हैं।
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