WEDNESDAY 30 APRIL 2025
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पहलगाम हमले के बीच दीपिका कक्कड़ ने की बड़ी गलती, लोग बोले – शर्म करो!

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जब पूरा देश सदमे में था, तब दीपिका कक्कड़ की एक इंस्टाग्राम स्टोरी ने लोगों को नाराज़ कर दिया। लोग कह रहे हैं – क्या ये वक़्त था व्लॉग की बात करने का?

पहलगाम हमले के बीच दीपिका कक्कड़ ने की बड़ी गलती, लोग बोले – शर्म करो!
पहलगाम – वो जगह जिसे लोग जन्नत कहते हैं, जहां वादियां सुकून देती हैं और झरनों की आवाज़ दिल को सुकून देती है. लेकिन इसी जन्नत में एक ऐसा दर्दनाक मंजर सामने आया जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. 28 मासूम टूरिस्ट, जिनका जुर्म सिर्फ इतना था कि वो अपने परिवार के साथ कुछ सुकून भरे पल बिताने आए थे . उनकी पहचान पूछकर, निर्ममता से गोलियों से भून दिया गया.
ये सिर्फ एक हमला नहीं था, ये इंसानियत के दिल पर चोट थी. ये उस भरोसे पर हमला था जिससे लोग सोचते हैं कि देश के किसी भी कोने में वो सुरक्षित हैं.

जहां पूरा देश इस दिल दहला देने वाली घटना पर शोक में डूबा हुआ था, वहीं एक सोशल मीडिया पोस्ट ने सबका ध्यान खींचा , और इस बार ये पोस्ट एक फेमस टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ की थी.
तीन दिन पहले ही दीपिका अपने पति शोएब इब्राहिम और बेटे रूहान के साथ कश्मीर में छुट्टियां मना रही थीं. खूबसूरत वादियों में खींची गई उनकी तस्वीरें हर किसी को एक पल के लिए मुस्कुरा देती थीं. लेकिन जैसे ही आतंकी हमले की खबर सामने आई, उनके फैन्स के चेहरों पर चिंता की लकीरें दौड़ गईं - "क्या दीपिका और उनका परिवार सुरक्षित हैं?"

एक्ट्रेस की पोस्ट बनी बहस का मुद्दा

इस चिंता को देखते हुए दीपिका ने एक इंस्टाग्राम स्टोरी शेयर की। उन्होंने लिखा –
“हाय गाइज, आप सब इस बात को लेकर चिंतित थे कि हम सही हैं या नहीं। हम सब सेफ और ठीक हैं। हम आज सुबह ही कश्मीर से निकले हैं और सुरक्षित दिल्ली पहुंच चुके हैं। आप सभी की चिंताओं के लिए धन्यवाद। नया व्लॉग जल्द ही आएगा।”



और यहीं से उठी एक नई बहस.
लोगों ने सवाल उठाया – क्या इस वक्त जब लोग अपने प्रियजनों को खोकर मातम मना रहे हैं, क्या एक नया व्लॉग प्रमोट करना जरूरी था? क्या सोशल मीडिया की दिखावे वाली दुनिया में अब किसी के दर्द को समझने की जगह नहीं बची?

एक यूजर ने लिखा – “इतनी बर्बरता के बीच इन्हें सिर्फ अपने व्लॉग की फिक्र है? क्या दो शब्द उन मारे गए लोगों के लिए नहीं निकल सकते थे?”
दूसरे ने कहा – “इनके सुरक्षित होने की खुशी है, लेकिन क्या इंसान होने के नाते थोड़ा दर्द उनके लिए महसूस नहीं किया जा सकता, जो लौटकर कभी अपने घर नहीं जा पाएंगे?”



ये सिर्फ दीपिका की नहीं, हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम कठिन समय में संवेदनशीलता और सहानुभूति दिखाएं. ये वो पल होते हैं जो हमारे असली इंसान होने की परीक्षा लेते हैं.पहलगाम के उन मासूमों को सिर्फ श्रद्धांजलि की ज़रूरत नहीं, बल्कि एक ऐसा समाज चाहिए जो उनके दर्द को महसूस करे, उनकी चुप चीखें सुने और उनके लिए आवाज़ उठाए.

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