पीएम मोदी के जीते जी क्या दिल्ली के 6 हिंदू मंदिरों पर क़ब्ज़ा कर पाएगा वक़्फ़ बोर्ड ?
इतिहास गवाह रहा है, वक़्फ़ बोर्ड ने जिस किसी जमीन को अपना बताया है, अल्लाह के नाम पर उसे क़ब्ज़ाया है लेकिन क्या इस बार वक़्फ़ अपनी इन साज़िशों में क़ामयाब हो पाएगा क्योंकि देश की मोदी सरकार वक़्फ़ की इसी दादागिरी को दफ़नाने का प्लान बना चुकी है। JPC में वक़्फ़ संसोधन बिल जा चुका है, अब बस फ़ैसला आना बाक़ी है लेकिन क्या फ़ैसले से पहले ही दिल्ली के 6 हिंदू मंदिरों की ज़मीन वक़्फ़ के नाम हो जाएगी।

वक़्फ़ बोर्ड पर यही आरोप लगते आए हैं कि अल्लाह के नाम पर वक़्फ़ बोर्ड जिस किसी की ज़मीन पर नजर डालता, उसे अपनी जागीर बताते हुए उसे अपना बना लेता है, फिर चाहे वो ज़मीन सरकारी हो या फिर हिंदुओं की ना ही आप वक़्फ़ बोर्ड के ख़िलाफ़ कोर्ट जा सकते हैं और ना ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वक्फ बोर्ट के फ़ैसले को चैलेंज कर सकते हो। यानी चट भी अपनी, पट भी अपनी हिंदुओं के तीर्थों को भी वक़्फ़ बोर्ड ने नहीं छोड़ा है और इसके पीछे की वजह है, 1954 का वक़्फ़ एक्ट अब जब आज की मोदी सरकार वक़्फ़ बोर्ड की बढ़ती ताक़त को कम करने जा रही है। संसद के रास्ते वक़्फ़ बोर्ड की तस्वीर बदलने जा रही है, तो उस पर देश के मौलवी, मौलाना मज़हबी संगठन और यहाँ तक की सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी पीएम मोदी पर वक़्फ़ बोर्ड को मिटाने का आरोप लगा रहे हैं। फ़िलहाल वक़्फ़ संसोधन बिल जेपीसी कमेटी में है और ऐसे में दिल्ली सरकार के अल्पसंख्यक आयोग के लिए तैयार की गई 2019 की एक रिपोर्ट ने सनसनी खेज़ खुलासा कर दिया है। इसी कथित "Fact Finding" रिपोर्ट का नाम है "THE LEGAL STATUS OF RELIGIOUS SPACES IN AND AROUND WEST DELHI" यानी पश्चिमी दिल्ली के धार्मिक स्थलों की कानूनी स्थिति और इसी रिपोर्ट में दिल्ली के कई मंदिरों पर वक्फा ने दावा ठोक दिया है दावा है कि ये मंदिर जिस जमीन पर बने हैं वो तो वक्फ बोर्ड की जमीन है, लेकिन क्या सच में देश के हिंदू आज तक वक्फ की जमीन पर अपने आराध्य को पूज रहे थे। सच क्या है, सच्चाई की गहराई तक पहुंचने के लिए वक्फ ने जिन 6 मदिरों पर अपना दावा ठोका, वहां हमारे सहयोगी पत्रकार पहुंचे।