नकली शंकराचार्य पर भड़के Swami Nischalananda Saraswat के आगे Shah की सिट्टी पिट्टी हुई गुम
इसी फ़र्ज़ी पने में पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने अपना मुँह खोला, देश के गृहमंत्री अमित शाह की बोलते बंद हो गई …. योगी का नाम आते ह पुरी पीठ शंकराचार्य ने दुनिया के आगे किस फ़र्ज़ी शंकराचार्य की हैसियत दिखा दी ..क्या है ये पूरा मामला, देखिये धर्म ज्ञान पर

मौनी अमावस्या के बाद से संगम नगरी प्रयागराज में बवाल मचा हुआ है, महाकुंभ की भव्यता के बीच लोगों के चेहरे पर अपनों को खोने का दर्द उस वक़्त देखने को मिला, जब संगम तट पर मची भगदड़ में लाशों का ढेर मिला। यूँ तो इस घटना से हर कोई दुखी है, लेकिन ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के क्रोध का शिकार प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को होना पड़ा। शंकराचार्य ने योगी से उनके पद से इस्तीफ़ा देने की डिमांड कर डाली और उनकी यही डिमांड अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी को इस कदर नागवार गुजरी की उन्होंने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शंकराचार्य होने पर ही सवाल खड़े कर दिये। उन्हें फर्जी करार दिया। और इसी फ़र्ज़ी पने में पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने अपना मुँह खोला, देश के गृहमंत्री अमित शाह की बोलते बंद हो गई। योगी का नाम आते ह पुरी पीठ शंकराचार्य ने दुनिया के आगे किस फ़र्ज़ी शंकराचार्य की हैसियत दिखा दी।
महाकुंभ हादसे के बाद से ही मृतकों को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का यही कहना है कि उनके साथ छल हुआ है।योगी सरकार द्वारा समय पर मृतकों की सूचना ना देना। मारे गये लोगों के सही आँकड़ों नहीं बताना धोखा नहीं, तो फिर क्या है? और शायद यही वजह है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने योगी बाबा को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया है। हालाँकि महाकुंभ में मौजूद ऐसे बहुत से साधु संत भी है, जो इसी हादसे को प्राकृतिक आपदा के चश्मे से भी देखते हैं। इसमें जनता की लापरवाही भी देखते हैं।आप कह सकते हैं कि योगी के साथ उनकी ढाल बनकर खड़े हैं। लेकिन इन सबके बीच महाकुंभ हादसे से लेकर योगी के इस्तीफ़े पर पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज से सवाल पूछे गये, तो उनके मन की बात दुनिया के सामने आ गई।
दूसरे अमृत से पहले पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज कई दफ़ा योगी सरकार की तारीफ करते दिखे। महाकुंभ में प्रशासन की तैयारियों को देखते और लोगों से सुनकर यही कह रहे थे कि योगी ने ख़ुद को धर्मनिरपेक्ष ना दिखाकर हिंदुओं के बार में सोचा है। लेकिन महाकुंभ हादसे के बाद उनके यही सुर बदले-बदले दिखे।उन्होंने नक़ली शंकराचार्य पर तो खुलकर बोला , लेकिन जिस शंकराचार्य को उन्होंने नक़ली बताया। उसे लेकर देश के गृह मंत्री अमित शाह को भी सच का आईना दिखाया।
महाकुंभ हादसे को लेकर पूछे गये सवाल पर शंकराचार्य का कहना था कि "व्यवस्था की विफलता के कारण हादसा हुआ। केवल घोषणा से आदमी नियंत्रित हो जाएगा, ऐसा सोचा गया था। सीएम ने दुख व्यक्त किया, रोने लग गए। भावुकता के वशीभूत होकर अध्यात्म में मनोरंजन का अतिक्रमण न करें। दुर्घटना न हो, इसके लिए सावधान होने की आवश्यकता है"
इसके बाद जब अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के शंकराचार्य पर उठने वाले सवालों पर पूछा गया , तो पुरी पीठ शंकराचार्य ने एक ऐसे फ़र्ज़ी शंकराचार्य की परिभाषा समझा दी। उन्होंने ये कहा कि "अंग्रेजों और मुगलों ने देश में लंबा शासन किया, लेकिन कभी आतंकवादी को शंकराचार्य नहीं बनाया। अब नकली जगद्गुरुओं और नकली शंकराचार्यों की भरमार हो गई है। एक आतंकवादी को शंकराचार्य बना कर हर जगह घुमाया जा रहा है और उसे RSS के कार्यालय में भी ठहराया गया है। असल में शंकराचार्य को परंपरागत रूप से चुना जाना चाहिए ताकि लोग उनका अनुसरण कर सकें और धर्म लाभ हासिल कर सकें।पिछले दिनों अमित शाह मेरे पास आए थे और जब मैंने नकली शंकराचार्य पर उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि वे मेरे पास ही आते हैं. मैंने उन्हें जवाब दिया कि नकली को खड़ा करते हो और कहते हो कि मेरे पास ही आते हो "
देखा जाए, जो दशकों से निश्चलानंद सरस्वती महाराज जिस व्यक्ति को फ़र्ज़ी शंकराचार्य बताते आए है, वो कोई और नहीं स्वामी श्री अधोक्षजानंद देवतीर्थ है, जो ख़ुद को पुरी पीठ का शंकराचार्य बताते हैं। हालाँकि पुरी पीठ के इसी मिस्ट्री की हिस्ट्री क्या कहती है, किसी और दिन आपको बताएँगे। फ़िलहाल महाकुंभ हादसे को लेकर कौन फ़र्ज़ी है और कौन असली गुनहगार ? ये आप कमेंट करे बताइयेगा।
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