RBI ने 5 साल बाद घटाए रेपो रेट, जानिए कैसे यह आपके लिए होगा फायदे का सौदा?
RBI के MPC (मोनिटरी पॉलिसी कमेटी) ने 2025 में एक बड़ा फैसला लिया है। पांच साल बाद RBI ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की घोषणा की है, जिससे यह 6.50% से घटकर 6.25% हो गया है। इस कदम का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने फरवरी 2025 की बैठक में एक बड़ा ऐलान किया है। RBI ने 5 साल बाद पहली बार रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (bps) की कटौती की है, जिससे अब यह 6.25% पर आ गया है। इससे पहले मई 2020 में RBI ने आखिरी बार रेपो रेट में कटौती की थी।
इस फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था, लोन, महंगाई, निवेश और आम जनता पर गहरा असर पड़ने वाला है। खासकर वे लोग जो होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई भर रहे हैं, उनके लिए यह एक राहत की खबर है। इस नीति के साथ, RBI ने FY26 (2025-26) के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.7% रखा है, जो अर्थव्यवस्था की स्थिरता का संकेत देता है। आइए जानते हैं RBI के इस फैसले का क्या अर्थ है, इसका कारण क्या है, और आम जनता व बाजार पर इसका सीधा प्रभाव क्या पड़ेगा?
RBI ने रेपो रेट क्यों घटाया?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। जब इस दर में कटौती होती है, तो बैंकों को सस्ता लोन मिलता है, जिससे वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर सकते हैं।
अब जानते है कि 5 सालों के बाद RBI ने इस कटौती को क्यों लागू किया, इसके पीछे प्रमुख कारण क्या हैं, तो हम आपको बता दें कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक और घरेलू बाजारों में मंदी के संकेत मिले हैं। खासकर 2024-25 में GDP ग्रोथ 6.4% रहने की संभावना थी, जो पिछले 4 वर्षों में सबसे धीमी गति थी। इसे सुधारने के लिए RBI ने यह कदम उठाया। खपत और निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार ने हाल ही में पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती की घोषणा की थी, जिससे लोगों की जेब में अधिक पैसा आएगा। अब RBI की रेपो रेट कटौती से लोन सस्ता होगा, जिससे बाजार में निवेश और खर्च को बढ़ावा मिलेगा। RBI ने अनुमान लगाया है कि FY26 में महंगाई दर (CPI Inflation) 4.2% पर रहेगी। महंगाई नियंत्रण में रहने के कारण RBI ने यह राहत भरा फैसला लिया। अमेरिका, चीन, कनाडा और मेक्सिको के बीच चल रहे व्यापार युद्ध और टैरिफ की नीतियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाला है। हालांकि इससे भारत को भी नुकसान हो सकता था, और इसलिए RBI ने पहले से ही राहत देने के लिए रेपो रेट में कटौती कर दी है।
इस फैसले से आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा?
1. लोन और EMI होगी सस्ती
अगर आपके पास होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन है, तो अब आपकी EMI कम हो सकती है। बैंकों के लिए कर्ज सस्ता होने से वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन देंगे। होम लोन पर 0.25% ब्याज दर घटने से ₹50 लाख के लोन पर हर महीने ₹750-₹1,000 की बचत हो सकती है। कार लोन और पर्सनल लोन भी सस्ता होगा, जिससे नए लोन लेने वालों को फायदा होगा।
2. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज घट सकता है
ब्याज दर में कटौती से बैंकों की FD दरें भी घट सकती हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आप FD में निवेश कर रहे हैं, तो कम रिटर्न मिल सकता है।
3. शेयर बाजार को मिलेगा बूस्ट
जब ब्याज दर कम होती है, तो निवेशक शेयर बाजार में अधिक पैसा लगाते हैं क्योंकि बैंकों में जमा धन का रिटर्न कम हो जाता है। इससे शेयर बाजार में तेजी आने की संभावना है।
4. महंगाई पर मिल सकती है राहत
महंगाई दर में पहले ही कमी आई है, और RBI के इस फैसले से इसे और नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
FY26 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.7% क्यों रखा गया?
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर बढ़ रही है, और FY26 में GDP ग्रोथ 6.7% रहने की उम्मीद है। जिससे निर्यात और उत्पादन में सुधार होगा, सरकार द्वारा पब्लिक इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक व्यापार नीतियों में स्थिरता आएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव संभव है।
क्या RBI आगे और कटौती करेगा?
MPC ने फिलहाल "न्यूट्रल" स्टांस बनाए रखा है, यानी RBI आगे की आर्थिक स्थिति को देखकर ही अगला फैसला करेगा। अगर महंगाई और नियंत्रित रहती है और GDP ग्रोथ में सुधार आता है, तो RBI आगे और कटौती कर सकता है। RBI का यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बदलाव है, जो 5 सालों में पहली बार हुआ है।
RBI का यह कदम भारत की आर्थिक स्थिति को मज़बूती देने और लोगों की जेब पर सीधा असर डालने वाला है। अब देखना होगा कि बाजार और बैंकिंग सेक्टर इस फैसले पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और आने वाले महीनों में इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
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