होम लोन पर बचत का मौका: आरबीआई की 0.25% रेपो रेट कटौती से क्या होगा असर?
RBI: एक अक्टूबर, 2019 के बाद से जारी किए गए सभी फ्लोटिंग रिटेल लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क यानी रेपो रेट से लिंक्ड होते हैं। ऐसे में जब भी केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट को घटाया जाता है, तो बैंकों को इस फायदे को अपने ग्राहकों को अनिवार्य रूप से ट्रांसफर करना होता है।

RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया गया है। बीते पांच वर्षों में यह पहला मौका है, जब केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों को कम किया गया है। इससे लोन लेने वाले लोग (विशेषकर होम लोन) बड़ी बचत कर पाएंगे। एक अक्टूबर, 2019 के बाद से जारी किए गए सभी फ्लोटिंग रिटेल लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क यानी रेपो रेट से लिंक्ड होते हैं। ऐसे में जब भी केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट को घटाया जाता है, तो बैंकों को इस फायदे को अपने ग्राहकों को अनिवार्य रूप से ट्रांसफर करना होता है।आइये जानते है इस खबर को विस्तार से ...
इससे लोगों को लोन पर पहले के मुकाबले कम ब्याज चुकाना होता है
इसके लिए बैंक हर तिमाही में ब्याज दरों को रिसेट करते हैं। अगर अपने होम लोन एक अक्टूबर, 2019 से पहले लिया है और वह मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) से लिंक्ड है तो घटी हुई रेपो रेट का फायदा लेने के लिए होम लोन को रिफाइनेंस करना एक अच्छा विकल्प होगा। इससे आप कम हुई रेपो रेट का फायदा उठा सकते हैं। जब भी रेपो रेट में कमी की जाती है तो उससे लिंक्ड सभी प्रकार के लोन पर ब्याज दर कम हो जाती है। इससे लोगों को लोन पर पहले के मुकाबले कम ब्याज चुकाना होता है।
रेपो रेट कम होने के समय ज्यादातर बैंक आपकी ईएमआई में कोई कमी नहीं करते हैं
रेपो रेट कम होने के समय ज्यादातर बैंक आपकी ईएमआई में कोई कमी नहीं करते हैं, बल्कि अपने लोन की अवधि को कम करके घटी हुई ब्याज दर का फायदा देते हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी उधारकर्ता ने बैंक से 75 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए 9 प्रतिशत की ब्याज दर लिया है, लेकिन लोन लेने के 36 महीने बाद ब्याज दर 8.75 प्रतिशत हो जाती है। ब्याज दर कम होने के कारण उधारकर्ता को अब तय अवधि में लोन पर 1.62 करोड़ रुपये की जगह 1.57 करोड़ रुपये का ब्याज भरना होगा। इससे करीब 5 लाख रुपये की बचत होगी और लोन सात महीने पहले समाप्त हो जाएगा।